पाकिस्तान की हालत तो पहले से ही खस्ता थी, देश कंगाली के राह पर है। पूर्व पीएम इमरान खान की सरकार के दौरान ही पाकिस्तान में महंगाई अपने चरम पर थी। विश्व कर्ज का बोझ बढ़ता चला जा रहा था। अब सत्ता में परिवर्तन होने के बाद प्रधानमंत्री की कुर्सी पर शाहबाज शरीफ काबीज हो गए हैं। लेकिन, ऐसा लगता है कि उनके आने से पाकिस्तान को ग्रहण ही लग गया है। क्योंकि, इस वक्त मुल्क अंधेरे में है। देश में बिजली गुल है। रमजान के भी वक्त में लोगों को 10-12घंटे बिना बिजली के ही रहना पड़ रहा है। इसके साथ ही तेल के दामों में भारी इजाफा देखने को मिलने वाला है।
शाहबाज सरकार ऐसे कदम उठा सकती है जिससे पाकिस्तान में पेट्रोल और डीजल और महंगा हो सकता है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाकिस्तान की नई सरकार बेलआउट पैकेज के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की सिफारिशों को स्वीकार करने का फैसला किया है। न्यूज एजेंसी एएफपी की एक रिपोर्ट बताती है कि IMF की दो प्रमुख शर्तों में से एक पेट्रोल और डीजल पर दी जाने वाली सरकारी सब्सिडी को कम करना है। रिपोर्ट के मुताबिक पकिस्तान के नए वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने 22 अप्रैल को पेट्रोल और डीजल पर सब्सिडी घटाने की मंजूरी दे दी है।
इसके साथ ही उन्होंने बिजनेस टैक्स में छूट की स्कीम को बंद करने की IMF की सिफारिशों पर अपनी हामी भर दी है। ऐसे में अब जानकारों का कहना है कि, पाकिस्तान सरकार के इस कदम का असर पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों पर देखने को मिल सकती है। इमरान खान के पीएम रहते हुए 2019 में IMF ने इस बेलआउट पैकेज को मंजूरी मिली थी। हालांकि पाकिस्तान में जारी धीमी आर्थिक सुधारों को देखते हुए पैकेज की राशि का वितरण धीरे-धीरे किया जा रहा था। मिफ्ताह इस्माइल ने कहा है कि IMF ने फ्यूल पर सब्सिडी हटाने की बात की है और हम इससे सहमत हैं। पाकिस्तान सरकार जो सब्सिडी दे रही है उसे वहन नहीं कर सकती है। ऐसे में हमें इसे कम करना होगा।
खबरों की माने तो, पाकिस्तान में फ्लूयल को रेगुलेट करने वाली संस्था OGRA ने हाल ही में डीजल और पेट्रोल की कीमतों को बढ़ाने की सिफारिश की थी। OGRA ने पेट्रोल पर 83.5 पाकिस्तानी रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 119 पाकिस्तानी रुपये प्रति लीटर बढ़ाने की सिफारिश की थी।