कंगाली की हाल में पाकिस्तान इस वक्त अपनी अर्थव्यवस्था बचाने के लिए पूरी कोशिश कर रहा है। मुल्क में हर चीजों की दामों में भारी वृद्धि आ चुकी है। खाने तेल से लेकर, आटा, चावल, दाल डालडा के साथ ही सारी चीजों के दामों में भारी इजाफा किया गया है। साथ ही पेट्रोल-डीजल के दामों में भी भारी वृद्धि है। ऐसे में शाहबाज सरकार अपनी पूरी कोशिश कर रही है इस कंगाली से बाहर आने के लिए। इसके साथ ही सकार अपने सहयोगी देशों से मदद मांग रही है। कभी चीन के पास जा रही है तो कभी सऊदी अरब के पास। यहां तक की पाकिस्तान की सरकार अपना ही बजट बनाने में नाकाम रही है। पाकिस्तान का बजट IMF तैयार कर रहा है। इस बात का खुलासा शरहाज शरीफ की एक मंत्री ने की है।
शहबाज शरीफ सरकार की मंत्री शेरी रहमान ने कहा है कि, नई सरकार अपना ही बजट बनाने में विफल है। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया है कि, इमरान खान की सरकार ने ऐसे फैसले लिए थे कि पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया। अब उसके पास बजट तैयार करने में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड की शर्तों को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। उन्होंने ये बात पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में बजट को लेकर चर्चा के दौरान कही।
पाक अखबार डॉन के मुताबिक, चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि, यह पूरी तरह से IMF का बजट है। इस बात में हमें कोई संदेह नहीं है। उनके अलावा कई और सांसदों ने इमरान खान की पूर्ववर्ती सरकार पर हमला बोला और कहा कि उनके आर्थिक फैसलों ने ही देश को इस हालत में पहुंचा दिया है। उन्होंने कहा कि इमरान खान की सरकार ने तो अर्थव्यवस्था को बच्चों का खेल बना दिया था। आज आईएमएफ से नाराज है कि आप वह फैसले नहीं लिए हैं, जिनके वादे किए गए थे। आज हम उनके बोझ को अपने सिर पर उठाने के लिए मजबूर हैं।
वहीं, शेरी रहमान ने कहा कि, अगर यह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का बजट है किसने उसके आगे हमारे हाथों को बांध दिया था। उन्होंने कहा कि इमरान खान की सरकार ने 4 साल के कार्यकाल में देश को डिफॉल्टर बना दिया। एक तरफ पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को वह तबाह कर गए और अब सत्ता से बाहर हैं तो अराजकता फैलाना चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि, अगर इमरान खान सत्ता में और कुछ वक्त बने रहते तो यह देश श्रीलंका बनने की कगार पर पहुंच जाता। उन्होंने कहा कि इमरान खान के दौर में पाकिस्तान ट्रेन की गति से बर्बादी की तरफ बढ़ रहा था। नई सरकार ने उस पर ब्रेक लगाने का काम किया है, भले ही वह इससे ज्यादा कुछ नहीं कर पाई है। इसी को क्राइसिस मैनेजमेंट कहा जाता है।
इसके आगे उन्होंने कहा कि, कोई भी सरकार आम लोगों पर बोझ नहीं डालना चाहती है। लेकिन देश के लिए काम करने वाली सरकार को कुछ कड़े फैसले लेने पड़ते हैं। हमारा पड़ोसी मुल्क श्रीलंका दिवालिया हो चुका है और जो हाल उसमें होता है, आप सोच भी नहीं सकते हैं। पीटीआई हमें उसी राह पर ले जाना चाहती थी। अब अराजकता फैलाने का काम चल रहा है।