पाकिस्तान में कुछ समय बाद अब चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (shehbaz sharif) ने भारत से बातचीत की इच्छा जताई है। बीती रोज राजधानी इस्लामाबाद के एक समिट में बोलते हुए शहबाज ने बिना भारत का नाम लिए बातचीत की इच्छा जाहिर की। इस दौरान उन्होंने भारत से तीन बार युद्ध लड़ने का जिक्र किया। इस पर पाकिस्तान की पब्लिक का रिएक्शन आया है। पाकिस्तानी पब्लिक पूछ रही है कि आखिर हम क्यों भिखारियों की तरह बार-बार कहते रहते हैं कि भारत से बात करने को तैयार हैं। उन्हें जरूरत होगी तो वह बात करेंगे।
इस बीच पाकिस्तान के यूट्यूबर सुहैब चौधरी ने शहबाज के बयान पर पाकिस्तान की जनता का रिएक्शन जाना। इसमें उन्होंने जब मोहम्मद इमरान नाम के एक शख्स से पूछा कि क्या भारत शहबाज के बयान को गंभीरता से लेगा? इस पर उस शख्स ने जवाब दिया कि भारत ने पाकिस्तान को सीरियसली लेना छोड़ दिया है। उनकी नजर में हमारी कोई इज्जत नहीं रह गई है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री पर भड़कते हुए इमरान ने कहा कि, ‘वैसे वो (शहबाज) है ही भिखारी, भिखारियों की तरह कहता रहता है कि हमसे बात कर लो। अगर उन्हें जरूरत होगी तो वह कर लेंगे।’
शहबाज आखिर क्यों बातचीत की बात कर रहे
वहीं यह पूछे जाने पर कि आखिर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ऐसा बयान क्यों दे रहे हैं? इस पर इस शख्स ने कहा कि पाकिस्तान को भारत के दोस्तों से पैसे लेने हैं। इसलिए वह ऐसा दिखाते रहते हैं कि पाकिस्तान भारत से बात करने को तैयार है। बातचीत में अमेरिका का भी जिक्र आया, जिस पर इस शख्स ने कहा कि हमारे राजनेताओं की प्रॉपर्टी अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में है। इसी कारण वह उसके खिलाफ आवाज नहीं उठा पाते।
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शहबाज शरीफ क्या बोले थे
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मंगलवार को सभी गंभीर और लंबित मुद्दों के समाधान के लिए भारत के साथ बातचीत करने की पेशकश की और कहा कि दोनों देशों के लिए ‘युद्ध कोई विकल्प नहीं है’ क्योंकि दोनों देश गरीबी और बेरोजगारी से लड़ रहे हैं। शरीफ ने यहां पाकिस्तान खनिज शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। ‘डस्ट टू डेवलपमेंट’ के नारे के तहत आयोजित इस बैठक का उद्देश्य नकदी संकट से जूझ रहे देश में विदेशी निवेश लाना है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट तौर पर भारत के संदर्भ में कहा, ‘हम हर किसी के साथ बात करने के लिए तैयार हैं, यहां तक कि अपने पड़ोसी के साथ भी बशर्ते कि पड़ोसी गंभीर मुद्दों पर बात करने के लिए गंभीर हो, क्योंकि युद्ध अब कोई विकल्प नहीं है।’