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चीन के चक्कर में बुरे फंसे ओली, Nepal में पीएम देउबा और प्रचंड के बीच बनी सहमति

sher bahadur deuba and pushpakamal dahal Prachanda

Nepal Politics: नेपाल में हुए संसदीय चुनाव (Nepal Politics) से पहले पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली एक्टिव हो गये थे। सत्ता में आने के लिए उन्होंने भारत तक को अपना चुनावी मुद्दा बनाया। लेकिन, जनता ने इस चीनी समर्थक नेता को अपना फैसला सुना दिया है। क्योंकि, प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की ही अलगी सरकार (Nepal Politics) बनेगी। दरअसल, देउबा और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) के अध्यक्ष पुष्पकमल दहल प्रचंड ने शनिवार को काठमांडू में बैठक की।इस दौरान दोनों अपने पांच-दलीय सत्तारूढ़ गठबंधन को जारी रखते हुए देश में नई सरकार बनाने पर सहमत हुए।

देउबा और पुष्पकमल दहल प्रचंड की मुलाकात
मीडिया में आ रही खबरों की माने तो प्रधानमंत्री देउबा और पुष्पकमल दहल प्रचंड ने काठमांडू में प्रधानमंत्री आवास पर मुलाकात की। सीपीएन-माओवादी सेंटर के स्थायी समिति के सदस्य गणेश शाह ने बैठक के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा की और नई सरकार के गठन की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया। गणेश शाह ने कहा, ‘मौजूदा सत्तारूढ़ गठबंधन को जारी रखने के लिए दोनों नेताओं के बीच सहमति बन गई है।’ नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन ने शनिवार को नेपाल के संसदीय चुनाव में अपनी बढ़त बनाए रखी। अभी तक प्रत्यक्ष मतदान चुनाव प्रणाली के तहत 150 सीट के परिणाम घोषित हुए हैं जिनमें से नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 82 सीट पर जीत हासिल की है। देश की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा की 165 सीट का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान से होता है, जबकि शेष 110 सीट का चुनाव आनुपातिक चुनाव प्रणाली के जरिए होता है।

चीनी समर्थक ओली को जनता का जवाब
सदन में बहुमत हासिल करने के लिए 138 सीटोंकी जरूरत होती है। प्रतिनिधि सभा और 7 प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव रविवार को हुए थे। मतों की गिनती सोमवार को शुरू हुई थी। वहीं, जारी मतगणना के बीच नेपाल में भारतीय राजदूत नवीन श्रीवास्तव ने देश के शीर्ष राजनेताओं से मुलाकात की है। बताते चलें कि, चुनाव के दौरान केपी शर्मा ओली एक बार फिर से भारत के नाम पर अपनी राजनीति चमकाने पर लगे हुए थे। केपी शर्मा ओली चीन के सबसे बड़े समर्थक हैं। यही वजह है कि वो भारत से चीढ़े रहते हैं।

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