Hindi News

indianarrative

India-US का किसी भी हाल में आना होगा आगे, वरना ड्रैगन कर लेगा इन छोटे देशों पर कब्जा- चीनी जाल में अब ये देश भी फंसा

ड्रैगन की जाल में ये देश भी फंसा

चीन इन दिनों दुनिया के कई देशों पर अपनी बुरी नजर गड़ाए हुए बैठा है। ड्रैगन कई देशों को अपने कर्ज के बोज तले इतना दबा दिया है कि उन्हें मजबुरन चीन को अपने देश की महत्वपूर्ण संपत्तियां बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। साउथ अफ्रीका के कई देशों की अर्थव्यवस्था में चीन तेजी से कब्जा कर रहा है। अब ड्रैगन की जाल में एक और बड़ा देश फंस गया है जिसके राष्ट्रपति ने चीन से मदद मांगी है।

यह भी पढ़ें- Afghanistan में भारत की पकड़ से टूटा चीन-पाक का गुरूर! Taliban बोला- यकीन नहीं हो रहा इंडिया इतना अच्छा है

चीन एशिया से लेकर अफ्रीका तक के दोशों को अपने कर्ज जाल की नीति का शिकार बना रहा है। शुरूआत में वो लालच देकर कर्ज देता है और जब दूसरा देश उसे लौटाने में सक्षम नहीं होता, तो चीन अपने असल मकसद को पूरा करते हुए उस देश के बंदरगाहों और हवाईअड्डों पर या तो कब्जा कर लेता है या फिर वहां अपना सैन्य अड्डा ही बना ले रहा है। इस वक्त श्रीलंका को चीन ने इस कदर कर्ज की जाल में फंसाया है कि इस संकट से निकलने के लिए श्रीलंका को चीन से मदद मांगनी पड़ी।

यह भी पढ़ें- झूठा है ड्रैगन- गलावन में 'झंडा फहराने' का वीडियो निकला फेक, सच्चाई सामने आते ही फड़फड़ाने लगा चीन

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने रविवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ ऋण संकट का मुद्दा उठाते हुए कहा कि क्या बीजिंग अपने विदेशी ऋण को पुनर्गठित करके विदेशी मुद्रा संकट से उबरने में उनके देश की मदद कर सकता है। वांग मालदीव से शनिवार को दो दिवसीय यात्रा पर श्रीलंका पहुंचे थे और उन्होंने राष्ट्रपति सचिवालय में राजपक्षे से मुलाकात की। इस दौरान श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने यह मुद्दा उठाया। श्रीलंका के राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक राजपक्षे ने कहा कि अगर कोविड-19 महामारी के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट के समाधान के रूप में ऋण पुनर्गठन पर विचार किया जाता है, तो यह श्रीलंका के लिए एक बड़ी राहत होगी। एक अनुमान के मुताबिक श्रीलंका को इस साल 1.5 से दो अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज चीन को चुकाना है। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने श्रीलंका द्वारा 150 करोड़ अमेरिकी डॉलर के अंतरराष्ट्रीय सॉवरेन बांड भुगतानों को पूरा करने पर संदेह जताया है। श्रीलंका इस वक्त अपने अब तक के सबसे बुरे विदेशी मुद्रा सकंट का सामना कर रहा है और ऐसे में चीनी विदेश मंत्री का दौरा किसी बड़ी चाल से भरी हुई नजर आ रही है।