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‘वन चाईना पॉलिसी’ तार-तार अमेरिका के बाद ब्रिटेन ने भी दिखाए तेवर

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय

ब्रिटेन (Britain) की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की अंत्येष्टि (Queen Elizabeth II) बीते सोमवार को राजकीय सम्मान के साथ किया गया। अंतिम संस्कार के साथ ही महारानी एलिजाबेथ द्वितीय (Queen Elizabeth II) की हस्ती इतिहास के पन्नों का हिस्सा बन गई। महारानी को ताबूत विंडसर कैसल में रॉयल वॉल्ट में उतारा गया। महारानी को दफनाने समय किंग चार्ल्स III काफी भावुक हो गए थे।

खैर, महारानी एलिजाबेथ द्वितीय अब सुपुर्दे खाक हो चुकी हैं। उनकी मौत के बाद से दुनियाभर के देशों ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं तो वहीं अब चीन ने ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार दिन शोक पुस्तक पर ताइवान के प्रतिनिधि द्वारा किए हस्ताक्षर पर कड़ा विरोध दर्ज किया है। चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से बयान दिया गया कि ब्रिटेन की ओर से ताइवान को निमंत्रण देना उसके लिए अपमानजनक है।

बता दें,ब्रिटेन (Britain) महारानी के अंतिम संस्कार में शरीक होने के लिए भारत की ओर से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू समेत कई देशों को आमंत्रित किया गया था। इस मौके पर लंदन के वेस्टमिंस्टर हॉल में प्रतिनिधियों ने शोक पुस्तक पर हस्ताक्षर किए थे। जिसमें ताइवान को मिले निमंत्रण पर चीन आग बबूला हो रखा है।

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चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, मैं इस बात पर जोर देती हूं कि डीपीपी (ताइवान की सत्ताधारी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी) के अधिकारी इस मौके का इस्तेमाल राजनीतिक हेरफेर करने के लिए करेंगे। उनसे ताइवानी प्रतिनिधि केली वू-चियाओ हसीहो को ब्रिटिश सरकार द्वारा शोक पुस्तिका में हस्ताक्षर करने के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किए जाने के बारे में पूछा गया था।

माओ ने कहा, यह अपमानजनक है। इससे यह तथ्य नहीं बदल जाता है कि ताइवान चीन का हिस्सा है। ताइवान के अधिकारियों की राजनीतिक योजना विफल होकर रहेगी।