अफगानिस्तान में तालिबान ने जब से कब्जा किया तब से अपने मन मुताबिक कानून बना रहा है। एक तरफ तो तालिबान दुनिया से समर्थन करने की गुहार लगा रहा है लेकिन वहीं, दूसरी ओर वो लोगों पर जुल्म ढा रहा है। ऐसे-ऐसे कानून लागू कर रहा है जिसे सुनकर लोगों की रूहें कांप जा रही हैं। सोशल मीडिया पर तालिबान का चेहरा उजागर होता रहा है अब इस कड़ी में तालिबान ने अफगानिस्तान मीडिया पर सेंसर लगा दिया है। यानी की जो तालिबान चाहेगा वही टीवी पर प्रसारित होगा।
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तालिबान सरकार ने एक नई मीडिया गाइडलाइंस जारी किया है, जिसकी वजह से अब अफगानिस्तान में मीडिया के पर कतरने पर लगा है। तालिबान ने ऐलान किया है किया है कि इसके तथाकथित प्रशासन के हितों के खिलाफ किसी भी मीडिया या समाचार एजेंसियों को खुछ भी प्रकाशित करने की इजाजत नहीं होती।
अफगानिस्तान पत्रकार सुरक्षा समिति (AJSC) का हवाला देते हुए, खामा प्रेस ने बताया कि उत्तरी बदख्शां प्रांत के स्थानीय अधिकारियों ने मीडिया आउटलेट्स से समीक्षा और सेंसरशिप के बाद अपनी रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए कहा है। अपनी नवीनतम रिपोर्ट में, AJSC ने कहा कि बदख्शां प्रांत में तालिबान ने घोषणा की है कि किसी भी मीडिया या समाचार एजेंसियों को समूह के हित के खिलाफ प्रकाशित करने की अनुमति नहीं है। इसके आगे कहा कि, सूचना और संस्कृति के प्रांतीय निदेशक, मुएजुद्दीन अहमदी ने कहा है कि महिलाओं को रिपोर्टिंग उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक रूप से मौजूद होने की अनुमति नहीं है।
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बता दें कि, मुएजुद्दीन अहमदी ने कहा है कि महिला मीडियाकर्मी पुरुष कर्मचारियों से अलग कार्यालय में काम कर सकती हैं। तालिबान की वापसी के बाद से ही अपनी रिपोर्टिंग को लेकर बदलाव किए जाने के डर से दर्जनों पत्रकार देश छोड़कर चले गए हैं। इसके साथ ही, अफगानिस्तान में मीडिया का समर्थन करने वाले संगठन नेहाद रसाना-ए-अफगानिस्तान (NAI) ने कहा है कि इस्लामिक अमीरात के शासन के बाद से, वित्तीय चुनौतियों के साथ-साथ प्रतिबंधों की वजह से देश में 257 से अधिक मीडिया आउटलेट्स ने काम करना बंद कर दिया है। इसमें प्रिंट, रेडियो और टीवी स्टेशन भी शामिल हैं। इसके साथ ही 70 फीसदी से अधिक मीडियाक्रमी बेरोजगार हो गए हैं या देश छोड़कर चले गए हैं।