तालिबान को अफगानिस्तान में कब्जा करने में सबसे बड़ा हाथ पाकिस्तान का रहा है। शुरुआत से ही इमरान खान तालिबानियों का गुणगान कर रहे थे। उन्हें लगा था कि वो तालिबान को अपनी पट्टी पढ़ा देंगे और फिर अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंक को बढ़ावा देने में करेंगे। इतने गहरे दोस्त अब एक दूसरे के जानी दुश्मन बन बैठे हैं। पाकिस्तान की हरकते हीं ऐसी है कि उसका कोई दोस्त नहीं हो सकता। क्योंकि, तालिबान तक को उसने नहीं छोड़ा। उधर तालिबान से दोस्ती कर रहा था तो वहीं दूसरी ओर डूरंड लाइन पर बाढ़ लगा रहा था जिसके बाद तालिबान ने बोलना शुरु किया तो पाकिस्तान बौखला उठा। अब एक बड़ी खबर आ रही है कि, अमेरिकी सेना ने जो हथियार अफगानिस्तान में छोड़ दिए थे उन्हें तालिबान पाकिस्तान में भेज रहा है।
अफगानिस्तान में तालिबान पर पाकिस्तान को हथियार सप्लाई करने का आरोप लग रहा है। जिन हथियारों की तस्करी की जा रही है, उनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ सीमा पार झड़पों में किया जा सकता है। हालांकि, तालिबान लगातार इस बात पर जोर देता आया है कि वो एक बेहतर तालिबान है। अगस्त 2021 में अफगानिस्तान से जाने के बाद अमेरिका के बहुत से हथियार वहीं छूट गए थे। इनमें से ज्यादातर हथियारों को डिसेबल कर दिया गया है। कुछ हथियार अभी भी काम कर सकते हैं। काबुल पर कब्जा करने के बाद अमेरिका के हथियार तालिबान के हाथ लग गए।
मीडिया में आ रही खबरों की माने तो, अफगान हथियार डीलर तालिबान के लड़ाकों से ये हथियार खरीदकर पाक-अफगान सीमा पर खुलेआम दुकानों पर इन्हें बेच रहे हैं। अफगानिस्तान से पाकिस्तान में फल और सब्जियां ले जाने वाले ट्रकों में इन हथियारों की तस्करी की जाती है। इसके साथ ही पाकिस्तान के रास्ते ही अफगानिस्तान से ड्रग्स भी भारी मात्रा में इंटरनेशनल मार्केत तक पहुंच रहे हैं। अफगानिस्तान से ड्रग्स को खैबर पख्तूनख्वा पहुंचाया जाता है। उसके बाद यहां से ड्रग्स लाहौर और फैसलाबाद ले जाई जाती है। इसके बाद इनकी बड़ी खेपें कराची के रास्ते साउथ एशिया के मार्केट में पहुंचती हैं।