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पाकिस्तान में हिंदुओं पर ज़ुल्म, सुरक्षित नहीं अल्पसंख्यक

पाकिस्तान के कराची में डॉ. बीरबल जिनानी की गोली मारकर हत्या कर दी गयी (फ़ोटो: ट्विटर)

राहुल कुमार

कराची में गुरुवार को अपने क्लिनिक से घर लौट रहे नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर बीरबल जिनानी की गोली मार कर हत्या कर दी गयी। हिंदुओं की हत्याओं और नाबालिग़ हिंदू लड़कियों के अपहरण को लेकर हिंदू संगठनों ने आज सिंध विधानसभा के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।

पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट है कि जिनानी कराची मेट्रोपॉलिटन कॉरपोरेशन (केएमसी) के स्वास्थ्य के पूर्व वरिष्ठ निदेशक और प्रैक्टिस करने वाले एक नेत्र विशेषज्ञ थे। जियो न्यूज़ के मुताबिक़, डॉक्टर की मौके पर ही मौत हो गयी, जबकि जिनानी के साथ गई महिला डॉक्टर हमले में घायल हो गयीं।

घटना के सीसीटीवी फ़ुटेज में जेनानी की कार अनियंत्रित होकर दीवार से टकराती दिख रही है। महिला डॉक्टर ने पुलिस को बताया, “फ़ायरिंग अचानक शुरू हुई और मुझे कुछ समझ नहीं आया।” एसएसपी सिटी, आरिफ़ अज़ीज़ ने जिनानी की हत्या को “टारगेट किलिंग” कहा, लेकिन हत्या के पीछे के सटीक कारण के बारे में विस्तार से नहीं बता सके।


पाकिस्तानी समाज में लगभग सभी वर्गों से हिंदू अल्पसंख्यक के ख़िलाफ़ बढ़ती और लगातार होती हिंसा देखी जा रही है।

कुछ दिन पहले पुलिस ने पंजाब में कथित रूप से “रमज़ान अध्यादेश का उल्लंघन करने” के लिए भोजन करने वाले हिंदू दुकानदारों पर हमला किया। पाकिस्तानी अख़बार, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया कि एक पुलिस अधिकारी को हिंदू रेस्तरां मालिकों की पिटाई करते देखा गया, जो कथित तौर पर स्थानीय बाज़ार में डिलीवरी ऑर्डर के लिए बिरयानी तैयार कर रहे थे।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो के अनुसार, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने उन्हें प्रताड़ित किया, परेशान किया, उनके साथ मारपीट की और हिंदू दुकानदारों सहित एक दर्जन से अधिक लोगों को शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने के बाद गिरफ़्तार कर लिया।
फलते-फूलते व्यवसायों के कारण पाकिस्तान का सबसे समृद्ध क्षेत्र सिंध, अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ बहुत अधिक हिंसा का साक्षी रहा है। यह स्कूली छात्राओं पर अमानवीय यौन हमलों और बूढ़े मुस्लिम पुरुषों से उनकी शादी के बाद उन्हें जबरन इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए कुख्यात है। किशोर हिंदू लड़कियों के धर्मांतरण को पूरे पाकिस्तानी समाज का समर्थन प्राप्त है-मुस्लिम मौलवियों से लेकर पुलिस, किशोर न्याय गृहों और अदालतों तक – ये सभी सक्रिय रूप से हिंदू परिवारों को धमकाने और पीड़ितों को उनके बलात्कारियों को सौंपने के लिए सक्रिय रूप से सांठगांठ करते हैं।


हाल ही में एक डॉक्युमेंट्री में दिखाया गया है कि कैसे पाकिस्तानी समाज की सहमति से युवा हिंदू लड़कियों का अपहरण, बुज़ुर्ग पुरुषों से उनकी शादियां और धर्मांतरण हो रहा है। अधेड़ उम्र के मुसलमान पुरुषों से नाबालिग़ हिंदू लड़कियों की शादी करवाने की इस बर्बर प्रचलन को पाकिस्तानी मुख्यधारा की मीडिया, नारीवादियों और पाकिस्तानी सरकार का भी मौन समर्थन प्राप्त है, जो न तो अपनी आवाज़ उठाते हैं और न ही पीड़ित लड़कियों का समर्थन करते हैं।
पाकिस्तानी समाज इस तड़पा देने वाले चलन में न केवल सहभागी है, बल्कि धर्मांतरण की आड़ में हिंदुओं के ख़िलाफ़ हिंसा के एक अंतहीन चक्र को सक्रिय रूप से चला रहा है। महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों की सबसे दिल दहला देने वाली घटनाओं में से एक – एक गरीब हिंदू महिला दया भील की दिसंबर 2022 में सिंध में मुस्लिम पुरुषों द्वारा हत्या कर दिये जाने की घटना थी, उसका सिर काट दिया गया था और उसकी चमड़ी उधेड़ दी गयी थी। हाल तक उसके अपराधियों को दंडित नहीं किया गया।यह घटना बहुसंख्यक तत्वों के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि वे अल्पसंख्यक महिलाओं पर हमले जारी रख सकते हैं।


पाकिस्तानी शस्त्रागार में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ सबसे शक्तिशाली हथियारों में से एक ईशनिंदा का आरोप है – यह इललौता आरोप है, जो हिंसक पुरुषों की भीड़ को अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को पीटने, जलाने और प्रताड़ित करने का कारण बन सकता है। 2021 में ईशनिंदा के झूठे आरोप में सबसे अमानवीय तरीक़े से पाकिस्तान में काम करने वाले श्रीलंकाई फ़ैक्ट्री मैनेजर की हत्या कर दी गयी थी।
हाल ही में ईशनिंदा का आरोप पाकिस्तान से यूरोप के अन्य देशों और ब्रिटेन में भी निर्यात किया गया है, जिसमें न केवल पाकिस्तान से बल्कि संघर्षग्रस्त दुनिया से भी मुस्लिम आबादी का एक बड़ा हिस्सा है। अधिकांश धर्मनिरपेक्ष और उदार राष्ट्रों में इस ईशनिंदा के आरोप को न तो स्वीकार किया जाता है और न ही इसे क़ानूनी दर्जा दिया जाता है। हालांकि, ईशनिंदा के आरोपों के तहत मुस्लिम समूह ब्रिटेन में सक्रिय रूप से शिक्षकों को भूमिगत करने के लिए बाध्य कर रहे हैं और स्कूली बच्चों को धमका रहे हैं, भारत में लोगों की हत्या कर रहे हैं और यूरोपीय देशों में हिंसा का सहारा ले रहे हैं।