रूस यूक्रेन पर हमला करेगा यह बात पहले से ही पक्कि थी। इसके पीछे कई कारण है। आसल मुद्धे की बात करें तो भोलाभाला बना यूक्रेन 2015 से ही डेनबास के लोगों का जीना हराम कर रखा था। आज जो हाल यूक्रेन में है वो 2015 से उसने डोनबास में कर रखी है। तब से लेकर अब तक कम से कम 13 से 15 हजार लोगों को मारा जा चुका है जिसमें 500 से अधिक मासूम बच्चों को भी मारा गया है और यह सब करने वाला है यूक्रेन। देश की मीडिया भी इस वक्त पश्चिमी मीडिया के रंग में रंग चुकी है। इस वक्त हमारी मीडिया भी वही दिखा रही है जो पश्चिमी देश दिखाना चाहते हैं और ये सिर्फ यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को दिखा रहे हैं। इस बीच एक देश में इस हमले का साफ खौफ देखा जा सकता है जिसने अमेरिका को चेतावनी दी है।
दरअसल, रूसी सैनिकों से लिथुआनिया भी डरा है। यहां के राष्ट्रपति गीतानास नौसेदा ने सोमवार को वाशिंगटन के शीर्ष राजनयिक एंटनी ब्लिंकन को चेतावनी देते हुआ कहा कि यूक्रेन में रूस की आक्रामकता को रोकने में विफलता वैश्विक संघर्ष को जन्म देगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि युक्रेन में पुतिन इतने में नहीं रुकेंगे। उन्होंने कहा कि, हर तरह से दुनिया पर यूक्रेनियन की मदद करने का दायित्व था। अगर तीसरा विश्व युद्ध रोकना है तो यूक्रेन की हर तरह से मदद करना चहिए।
यह बताते चलें कि, लिथुआनिया नाटो का सदस्य है और इसने यूक्रेन को सैन्य सहायता भेजी है। इसके साथ ही रूसी हमले के बाद से यूक्रेनी शरणार्थियों का स्वागत किया। एंटनी ब्लिंकन सोमवार और मंगलवार को लातविया और एस्टोनिया का दौरा करने वाले थे। शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने पहले विनियस में अमेरिकी दूतावास के कर्मचारियों से कहा था कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने राष्ट्रों के बीच शांति बनाए रखने के लिए बनाए गए बुनियादी सिद्धांतों को चुनौती दी है। ब्लिंकन ने कहा, यह महत्वपूर्ण है कि लोग समझें कि वास्तव में क्या दांव पर लगा है और यह यूक्रेन से भी आगे, यहां तक कि बाल्टिक देशों से भी आगे, यहां तक कि यूरोप से भी आगे जाता है।