आयुष गोयल
चंडीगढ़: क़रीब दो महीने पहले होशियारपुर से नीर कौर (बदला हुआ नाम) जब दुबई के लिए रवाना हुई थीं, तो वह अपनी आने वाली पीढ़ियों की तक़दीर बदलना चाहती थीं। विदेशों में कुछ बड़ा करने के पंजाबी सपने पर सवार होकर एक छोटे लड़के की 35 वर्षीय इस मां को अपने सबसे बुरे दौर का सामना करना पड़ा।
नीर दुबई से अपने ‘भर्ती’ एजेंट द्वारा 10 अन्य लोगों के साथ मस्कट के लिए रवाना हो गयीं । ये लोग रोटी के बचे हुए टुकड़ों और पानी की दो बोतलों की आपूर्ति पर निर्भर थे। “हमें उचित तरीक़े से वीज़ा प्राप्त करने के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं हैं। मेरे एक रिश्तेदार ने हमें बताया कि दुबई में अच्छे डील डौल वाली पंजाबी महिलाओं को नौकरानियों के रूप में आवश्यकता बतायी जाती है और हम एक महीने 50,000 रुपये कमाये जाते हैं। हम कुछ महीनों के लिए तबतक ऐसा करने के लिए तैयार हो गये, जब तक कि मैं अपने पति को वहां एक निर्माण श्रमिक के रूप में नौकरी के लिए नहीं बुला लेती। हमने अपने पड़ोसियों को बताया कि मैं अपने भाई की पत्नी की मदद करने के लिए उसके घर जा रहे हैं, क्योंकि वह गर्भवती हैं। जैसे ही हम दुबई में उतरे, वे हमें मस्कट ले गये और फिर वहां से हमारा कड़ा इम्तिहान शुरू हो गया। हम सभी को एक कमरे में बंद कर दिया गया और जब हमने काम के बारे में उनसे पूछा, तो पता चला कि हमारे लिए कोई काम नहीं है।
नीर उन 15 तस्करी वाली महिलाओं में से एक हैं, जिन्हें राज्यसभा सांसद और विश्व पंजाबी संगठन के अध्यक्ष विक्रमजीत साहनी ने ओमान से छुड़ाया है, जो मस्कट में फंसी पंजाबी महिलाओं को उनके परिवारों से मिलाने के लिए ‘मिशन होप’ चला रहे हैं। वे उद्यम करने और आर्थिक तरक़्क़ी करने को लेकर पूरे साहस आगे बढ़ रही थीं, लेकिन धोखाधड़ी और विश्वासघात के असहाय शिकार के रूप में उनकी कोशिश का अंत हुआ।
पंजाब के मोगा की एक अन्य पीड़िता राजिंदर कौर (बदला हुआ नाम) ने कहा, “मैंने ब्यूटीशियन का कोर्स किया था और पार्लर में नौकरी देने का वादा किया गया था, लेकिन मस्कट में मुझे घरेलू नौकरानी बना दिया गया। मुझे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। मैं 20 घंटे तक बिना रुके काम करती थी और मुझे बस एक बार खाना दिया जाता था, क्योंकि मेरे मालिक सोचते थे कि मैं बहुत मोटी और आलसी हूं। थककर चकनाचूर होकर मैं एक गंदे कोने में लेट जाती, वे मुझे अपने पैरों से ठोंकर मारकर तय करते कि मैं जीवित हूं भी या नहीं। मेरे तीन बच्चे हैं और आख़िरी बार उन्हें देखने की ख़्वाहिश ने मुझे ज़िंदा रखा।”
एक दूर का रिश्तेदार उन्हें एक रिक्रूटमेंट एजेंट के पास ले गया था। इन डरावनी कहानियों से पता चलता है कि सभी महिलायें शोषण के इसी तरह के चक्र से गुज़रीं, जिसमें वे विज़िटर या जॉब वीज़ा पर खाड़ी में पहुंची थीं और समय से पहले ही रुक गयी। इसके बाद वे वहां नहीं टिक सकती थीं। इसके लिए उन्हें भारी राज्य दंड का भुगतान करना होता,जिसे लेकर वे असमर्थ थीं।
साहनी ने Indianarrative.com से बात करते हुए कहा कि उनकी जांच-पड़ताल के अनुसार, पंजाब में 143 अवैध एजेंट हैं और यह सूची पंजाब सरकार के साथ साझा की गयी है। पंजाब पुलिस जल्द ही इस मामले की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन करेगी और प्रत्येक लड़की एक व्यक्तिगत प्राथमिकी दर्ज करेगी। “लड़कियां अब अपने-अपने क्षेत्राधिकार में व्यक्तिगत प्राथमिकी दर्ज करेंगी और फिर उन प्राथमिकियों को एक बड़ी जांच में उपयोग किया जायेगा। हमने लड़कियों की मदद के लिए एक विशेष टीम बनायी है और डीजीपी से बात की है, जिन्होंने एसआईटी का वादा किया है। हम उन और लड़कियों को बचाने पर भी काम कर रहे हैं, जो इस समय हमसे संपर्क कर रही हैं।