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Pakistan माइनॉरिटी का बूचड़खाना! पेशावर में सलबंड बाजार में 2 निर्दोष सिख व्यापारियों की गोलियों से भून कर हत्या

पाकिस्तान में दो सिखों की निर्मम हत्या

आईएसआई का एजेंट गुरुपतवंत सिंह पन्नू चूहे की तरह किसी बिल में छुपा हुआ है। सिख फॉर जस्टिस के फर्जी नारे लगाने वाले भोंपू भी चुप हैं। कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में आईएसआई पैसों पर पल रहे लोगों में से किसी की आवाज नहीं आई है। ब्रिटेन की संसद में पंजाब की पगड़ी उछालने वाले तनमन सिंह ढेसी भी खामोश हैं। खामोश क्यों न हों। क्यों कि उन्हें न सिखों की परवाह है और सिखी का कोई ख्याल है। पाकिस्तान में सिखों का कत्लेआम किया जा रहा है। गुरुओं के स्थानों को अपवित्र किया जा रहा है। निशान साहिब और गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की जा रही है, लेकिन इन्हें न गुस्सा आता है और न मलाल है। क्यों कि ये लोग तो खुद पाकिस्तान एजेंट बन चुके हैं। सिखों के मान-सम्मान इन जैसे लोगों ने आईएसआई के हाथों नीलाम कर दिया है। सलबंड बाजार में दो सिखों को दिन दहाडे़ कत्ल कर दिया गया। लेकिन इनमें से किसी को कोई दुख नहीं है। 

दिल रोता है, आत्मा दुखी है और बेवसी पर तरस आता है, उस वक्त जब खबरें आती हैं कि पाकिस्तान के सिंधी, हिंदू और सिखों का कत्लेआम हो रहा है। बहन बेटियों की इज्जत-आबरू लूटी जा रही है। अगवा करके जबरन निकाह हो रहे हैं। लेकिन सिखों के नाम को बदनाम करने वाले आईएसआई के गुर्गे ऐश मनाते हैं। पेशावर के बाटा ताल बाजार के सलबंड इलाके में दो निर्दोश सिख व्यापारियों की गोली मार कर हत्या कर दी गई। दोनों मसाले बेचकर अपने परिवार का पेट पालते थे।

मारे गए सिखों में से एक की पहचान 42 साल के सलजीत सिंह और 38 साल के रंजीत सिंह के रूप में हुई। दोनों पर हमलावरों ने अंधाधुंध गोलियां दागीं। नतीजतन दोनों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। पेशावर में सिख समुदाय के करीब 15 हजार लोग रहते हैं। इनमें से अधिकांश जोगन शाह में रहते हैं। पेशावर में रहने वाले सिख समुदाय के अधिकांश लोग व्यापार करते हैं। कुछ फार्मेसी भी चलाते हैं।

पाकिस्तान की पुलिस-सरकार ही नहीं बल्कि गली मुहल्ले में रहने वाले आम मुसलमान भी जानते हैं कि हत्यारे कौन हैं, मगर सब अनजान बने रहते हैं। क्यों कि मरने वाले तो उनकी नजर में काफिर हैं और काफिर का कत्ल किया जाना पाकिस्तान में गुनाह नहीं है। पाकिस्तान इस्लामी स्टेट है। जहां अदालतों भी शरिया कानून चलता है।

पिछले साल यानी सितंबर 2021 में पेशावर में ही प्रसिद्ध सिख हकीम की हत्या कर दी गई। इनका कसूर यह था कि नब्ज देखकर मरीज को ठीक कर देते थे। उनकी शौहरत बहुत बढ़ गई थी। लोग उनके मुरीद बन रहे थे। एक काफिर के मुरीद वो भी पाकिस्तान में- यह तो कतई मुमकिन नहीं। इसलिए दूर-दूर तक मशहूर ‘काफिर सिख’यूनानी मेडिकल प्रेक्टिशनरको उस समय उनके क्लिनिक में घुसकर गोलियों से भून दिया जब वो किसी की जिंदगी बचाने की कोशिश कर रहे थे। पाकिस्तान को अपना मुल्क मानने वाले सिखों में से जो भी थोड़ा ऊपर उठा उसको हमेशा-हमेशा के लिए दबा दिया गया। 2018 में सिख समुदाय के जानी-मानी हस्ती चरणजीत सिंह की हत्या कर दी गई थी। 2020 में रवींद्र सिंह नाम के न्यूज चैनल के एंकर की हत्या कर दी गई थी।

इससे पहले 2016 में इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ से नेशनल असेंबली के सदस्य सोरेन सिंह भी पेशावर में ही कत्ल कर दिया गया था।

एक बार फिर दो निर्दोष सिखों की हत्या की निंदा की है। क्यों कि विरोध जताने के अलावा भारत सरकार कुछ और कर भी नहीं सकती। बहरहाल, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को लगातार निशाना बनाए जाने पर पाकिस्तान के समक्ष अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है। बागची ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि पाकिस्तान सरकार अपने अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा, कल्याण का ख्याल रखेगी।