इधर इमरान खान की कुर्सी को लेकर विवाद चल रहा है। वहीं इस बीच कश्मीर का मुद्दा भी काफी चर्चाओं में हैं। हाल ही में ओआईसी के सम्मेलन में पाकिस्तान ने 'कश्मीर' मसले पर इस्लामिक देशों का साथ मांगा था। इस मुद्दे को लेकर इस्लामिक संदेश कितने गंभीर है, इसके संकेत सामना आ रहा है। कश्मीर मामले पर 'इस्लामिक उम्माह' कहे जाने वाले मुस्लिम देश पीछे कदम हटा रहे है। दरअसल, पाकिस्तान में इन दिनों इस्लामिक सहयोग संगठन का 48वां सत्र चल रहा है। इस सम्मेलन का मुख्य एजेंडा अफगानिस्तान है लेकिन पाकिस्तान के अनुरोध पर इसमें जम्मू कश्मीर पर भी स्पेशल सेशन किया गया।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने सम्मेलन में कहा कि भारत ने जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा गैर-कानूनी तरीके से खत्म कर दिया। अब वह बाहर से लोगों को कश्मीर में बसाकर वहां की डेमोग्राफी बदल रहा है। ये एक युद्ध अपराध है लेकिन इसे लेकर कोई भारत पर प्रतिबंध नहीं लगा रहा है। इमरान खान ने मुस्लिम देशों से कहा कि वो सब एकजुट नहीं हैं इसलिए उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया जाता। इमरान खान सम्मेलन में जब कश्मीर का राग अलाप रहे थे तो सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात समेत कई देशों के विदेश मंत्री खामोशी से उनकी बात सुन रहे थे।
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सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैजल बिन फरहान ने अपनी बारी आने पर सधे हुए तरीके से स्टेटमेंट देते हुए कहा, 'हम जम्मू-कश्मीर के लोगों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हैं। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तरफ से जम्मू-कश्मीर के मुद्दे के न्यायपूर्ण समाधान के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हैं।' पाकिस्तान में जिस वक्त जम्मू-कश्मीर को लेकर ओआईसी में बड़ी-बड़ी बातें चल रही थीं। उसी दौरान सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात का बड़ा बिजनेस डेलीगेशन श्रीनगर पहुंचा हुआ था। इस डेलीगेशन में दोनों देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियों के सीईओ और बड़े अधिकारी शामिल हैं। वे जम्मू-कश्मीर में निवेश पर चर्चा करने के लिए तीन दिवसीय दौरे पर वहां पहुंचे हैं। उन दोनों देशों के अलावा हॉन्ग कॉन्ग का डेलीगेशन भी निवेश पर चर्चा के लिए श्रीनगर में मौजूद है।