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UNO Report On Terrorism: फिर से सर उठाता अलक़ायदा

UNO की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अल क़ायदा तालिबान के नेतृत्व वाले अफ़ग़ानिस्तान में फिर से संगठित हो रहा है

मोहम्मद अनस

UNO Report On Terrorism:मूल आतंकवादी संगठन अलक़ायदा की दक्षिण एशिया-केंद्रित शाखा Al Qaeda in Indian Subcontinent (AQIS) के लगभग 200 लड़ाके अब भी सक्रिय हैं। ये जम्मू-कश्मीर, बांग्लादेश और म्यांमार में अभियान की योजना बना सकते हैं। अलक़ायदा के वैश्विक संचालन पर एक रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंध निगरानी टीम ने कायदा और इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक़ एंड सीरिया (आईएसआईएस) के बारे में ऐसा ही कहा गया है।

इसस रिपोर्ट में कहा गया है कि AQIS कश्मीर ऑपरेशन के लिए एक सहयोगी को तैयार कर रहा है। साथ ही इस रिपोर्ट में तालिबान शासित अफ़ग़ानिस्तान के वैश्विक आतंकवाद का केंद्र होने पर भी चिंता जतायी गयी है, जिसकी धरती से लगभग 20 आतंकवादी समूह सक्रिय हैं।

अल क़ायदा अपनी बाहरी संचालन क्षमता का गुप्त रूप से पुनर्निर्माण करते हुए नए लड़ाकों को जुटाने और भर्ती करने के लिए अफ़ग़ानिस्तान को एक वैचारिक और तार्किक केंद्र के रूप में उपयोग करता है। अल-क़ायदा पुनर्गठन के चरण में है, कुनार और नूरिस्तान प्रांतों में नए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित कर रहा है। यूएनएससी के सदस्य देशों ने आकलन किया कि अल क़ायदा अपनी परिचालन क्षमता और पहुंच विकसित करते समय अल्पावधि में निष्क्रिय रहेगा।

UNO की रिपोर्ट के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान में अल क़ायदा का कोर 30 से 60 सदस्यों पर स्थिर बना हुआ है, जबकि देश में सभी अल क़ायदा लड़ाकों की संख्या 400 होने का अनुमान है, जिसमें इसके सदस्यों और समर्थकों को मिलाकर 2,000 तक पहुंच गया है।

इस रिपोर्ट में ओसामा महमूद के AQIS प्रमुख होने का भी ज़िक़्र है।

2023 की संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला है कि मिस्र की सेना के पूर्व कर्नल सैफ़ अल-अदेल को अल क़ायदा का वास्तविक नेता नामित किया गया था, लेकिन अफ़ग़ान की “राजनीतिक संवेदनशीलता” के कारण उन्हें औपचारिक रूप से इसका अमीर घोषित नहीं किया गया था। सरकार काबुल में अयमान अल जवाहिरी की हत्या और ईरान में अल-अदेल के लोकेशन से उत्पन्न “धार्मिक और परिचालन” चुनौतियों को स्वीकार करती है।

UNO की रिपोर्ट का सबसे स्पष्ट पहलू यह है कि अल क़ायदा तालिबान सरकार के साथ “घनिष्ठ और सहजीवी” संबंध बनाये हुए है। उच्च पदस्थ तालिबान अधिकारियों के संरक्षण में अल क़ायदा के सदस्य “क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों और सार्वजनिक प्रशासन निकायों में घुसपैठ करते हैं।” पूरे अफ़ग़ानिस्तान में इस समूह के सेल की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। बड़े पैमाने पर आतंकी हमले करने की अल क़ायदा की क्षमता “कम बनी हुई है, जबकि उसका इरादा मज़बूत है।”

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अल क़ायदा इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ उज्बेकिस्तान (आईएमयू), तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी (टीआईपी) और जमात अंसारुल्लाह जैसे ग़ैर-अफ़ग़ान आतंकवादी समूहों के साथ सहयोग को मज़बूत करने के लिए भी काम कर रहा है।

UNO के सदस्य देशों ने भी इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक़ एंड लेवांत-खुरासान प्रांत (आईएसआईएल-केपी) का मूल्यांकन “अफ़ग़ानिस्तान और व्यापक क्षेत्र में सबसे गंभीर आतंकवादी ख़तरा” के रूप में किया है। आईएसआईएल-केपी ने वास्तव में हाल के वर्षों में एक्यूआईएस के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित किए हैं और भारत और पाकिस्तान के कई लोगों ने इस मिश्रित आतंकी नेटवर्क के लिए काम किया है।

अनुमान है कि आईएसआईएल-के में इसके सदस्यों सहित 4,000 से 6,000 सदस्य हैं। सनाउल्लाह गफ़री (उर्फ शहाब अल-मुहाजिर) को आईएसआईएल-के के सबसे महत्वाकांक्षी नेता के रूप में देखा जाता है। एक सदस्य देश ने बताया कि गफ़री जून में अफ़ग़ानिस्तान में मारा गया था। इसकी पुष्टि होनी बाक़ी है। मावलवी रजब आईएसआईएल-के के बाहरी अभियानों का नेता है।

“आईएसआईएल-के तालिबान और अंतरराष्ट्रीय ठिकानों दोनों के ख़िलाफ़ अपने हमलों में अधिक परिष्कृत होता जा रहा है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान की सुरक्षा प्रदान करने की क्षमता को कमज़ोर करने के लिए हाई-प्रोफ़ाइल हमलों की रणनीति को अंजाम देने पर केंद्रित था।

इस रिपोर्ट में  कहा गया है,“कुल मिलाकर आईएसआईएल-के हमलों ने टोही, समन्वय, संचार, योजना और निष्पादन सहित मज़बूत परिचालन क्षमता का प्रदर्शन किया। इसके अलावा, बल्ख, बदख्शां और बगलान प्रांतों में हाई-प्रोफ़ाइल तालिबान हस्तियों के ख़िलाफ़ हमलों ने आईएसआईएल-के का मनोबल बढ़ाया और भर्ती को बढ़ावा दिया।”

 

अल क़ायदा, भारत और कश्मीर

AQIS के सबसे प्रमुख निशानों में से एक भारत है और कश्मीर 2010 से ही इसके रडार पर है। जब मई 2011 में ओसामा बिन लादेन मारा गया  था, तो उसकी मौत पर कश्मीर घाटी के कई इलाक़ों में व्यापक रूप से शोक मनाया गया था। दिवंगत हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी ने अंतिम संस्कार प्रार्थना का नेतृत्व किया था।

हालांकि, 2017 की एक विशेषज्ञ रिपोर्ट के अनुसार, अल क़ायदा कश्मीर थिएटर में महत्वपूर्ण पैठ तो नहीं बना पाया है। जैसा कि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि नया ख़तरा इस आतंकवादी समूह द्वारा अपने नेटवर्क को फिर से मज़बूत करने का एक नया प्रयास हो सकता है। यह ग़ौर करने वाली बात होगी कि अल क़ायदा कश्मीर में घुसपैठ के लिए कैसे और कौन सा रास्ता चुनता है।

इस बीच, AQIS-ISIL-KP का गठजोड़ पहले ही भारत में अपनी पैठ बना चुका है। केरल के कुछ युवा, जो लापता हो गए और फिर उनके आईएसआईएल में शामिल होने की ख़बरें आयीं, उन्हें इस आतंकी नेटवर्क द्वारा शिकार बनाया गया। इसी तरह, 2013 से 2016 के बीच यूपी, गुजरात, दिल्ली और ओडिशा जैसे विभिन्न स्थानों से गिरफ़्तार किए गए कई युवाओं को भी AQIS के सदस्य के रूप में आरोपित किया गया था। उनमें से कुछ को बरी कर दिया गया, जबकि कुछ को आतंकवादी समूह को कुछ सहायता प्रदान करने वाले उसके साहित्य का प्रसार करने आदि के लिए जेल में डाल दिया गया।

पिछले दो वर्षों में AQIS संचालक होने के आरोप में भारत में कई बांग्लादेशियों को गिरफ़्तार किया गया है। सितंबर 2021 से जुलाई 2023 तक पूरे भारत में 50 से ज़्यादा ऐसी गिरफ़्तारियां हो चुकी हैं।

 

टीटीपी और अल क़ायदा का विलय?

इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि तहरीक़-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) में आदिवासी आतंकवादी शामिल हैं और अब बड़े पैमाने पर अफ़ग़ानिस्तान की धरती से संचालित होता है।यह दक्षिण एशिया में स्थित सभी आतंकवादी समूहों का एक छत्र समूह बनाने के लिए अल क़ायदा से अपना हाथ मिला सकता है।

इस रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि अगस्त 2021 में अफ़ग़ान तालिबान के नियंत्रण के बाद से प्रतिबंधित टीटीपी अफ़ग़ानिस्तान में कैसे गति पकड़ रहा है।इस रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि कैसे अन्य आतंकवादी संगठन युद्धग्रस्त देश में काम करने के लिए टीटीपी कवर का उपयोग कर रहे थे।

डॉन के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, ” UNO के कुछ सदस्य देशों ने चिंता व्यक्त की है कि टीटीपी एक छतरी प्रदान कर सकता है जिसके तहत कई विदेशी समूह काम करते हैं, या तालिबान के नियंत्रण के प्रयासों से बचने के लिए एकजुट भी हो सकते हैं।”

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि टीटीपी और अल क़ायदा पाकिस्तान के भीतर हमले बढ़ाने के लिए समन्वय अभियान चला रहे हैं। दस्तावेज़ के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान के कुनार प्रांत में विभिन्न आतंकवादी समूहों द्वारा चलाए जा रहे प्रशिक्षण शिविरों का उपयोग प्रतिबंधित टीटीपी के लड़ाकों द्वारा भी किया जा रहा है।

इस रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के कब्ज़े से टीटीपी का हौसला बढ़ा है और उसने हाल के महीनों में पाकिस्तान में क्षेत्रीय नियंत्रण फिर से स्थापित कर लिया है।

UNO के मॉनिटरों ने नोट किया कि प्रतिबंधित टीटीपी सीमावर्ती क्षेत्रों में उच्च-मूल्य वाले लक्ष्यों और शहरी क्षेत्रों में आसान लक्ष्यों पर केंद्रित रहा।

इससे पहले, UNO के अधिकारियों का हवाला देते हुए कुछ रिपोर्टों में कहा गया था कि पाकिस्तान द्वारा भारी विरोध दर्ज कराने के बाद अफ़ग़ान तालिबान शासन द्वारा टीटीपी कैडरों को पाकिस्तानी क्षेत्रों से स्थानांतरित कर दिया गया था।

अब UNO पैनल ने चिंता व्यक्त की है कि अगर प्रतिबंधित टीटीपी का अफ़ग़ानिस्तान में सुरक्षित संचालन आधार बना रहा, तो यह एक क्षेत्रीय ख़तरा बन सकता है।