इस वक्त दुनियाभर के देशों के हालात ठीक नहीं चल रहे हैं, रूस-यूक्रेन जंग के बीच कई पश्चिमी देशों के साथ ही दुनिया लगभग सभी देशों में महंगाई की मार है। हर एक देश में जरूरत की चीजों के दामों में वृद्धि हो चुकी है। खासकर पेट्रेल-डीजल, गैस पर तो इसका ज्यादा असर पड़ा है। इसके साथ ही कई देशों की राजनीति में भी बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है। जिसमें अब ब्रिटेन भी शामिल हो गया है, यहां पर राजनीति संकट गहराता जा रहा है। यहां पीएम बोरिस जॉनसन के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है। पहले दो मंत्रियों ने पद छोड़ा अब एक साथ 35से ज्यादा मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है।
ब्रिटेन की कंजरवेटिव पार्टी में बगावत के बाद 39मंत्रियों और संसदीय सचिवों ने इस्तीफा दे दिया है। गृह मंत्री प्रीति पटेल तक ने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। बुधवार को प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एक और ऐसा कदम उठाया जिससे उनकी कुर्सी संकट में आती दिख रही है। उन्होंने लेवलिंग-अप हाउसिंग ऐंड कम्युनिटीज सेक्रेट्री माइकल गोव के बर्खास्त कर दिया। उनकी कैबिनेट में बगावत के बाद काबू पाने के लिए उन्होंने ऐसा किया।
खबरों की माने तो, गोवे ने मीडिया को बता दिया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री से इस्तीफा देने के लिए कहा है। इसके बाद बोरिस जॉनसन ने उन्हें बर्खास्त कर दिया। उनका कहना है कि ऐसी कोई बात सार्वजनिक नहीं करनी चाहिए थी। ऐसे में बोरिस जॉनसन के सहयोगियों ने उनपर जुबानी हमला किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को इस्तीफा देने की सलाह और फिर कैबिनेट में भी रहें, दोनों बातें एक साथ संभव नहीं हैं। बोरिस जॉनसन पार्टीगेट स्कैंडल के बाद से अपने मंत्रियों के निशाने पर हैं। इसके बाद क्रिस पिंचर स्कैंडल को लेकर सियासी संकट और गहरा हो गया। बुधवार शाम कम से कम 9 मंत्री डाउनिंग स्ट्रीट पहुंचे थे और उन्होंने बोरिस जॉनसन से पद छोड़ने को कहा था। गृह मंत्री प्रीति पटेल को उनका बड़ा सहयोगी माना जाता है लेकिन वह भी इस टीम में साथ थीं। जॉनसन ने सभी मंत्रियों से अलग-अलग मुलाकात की। मंत्रियों का कहना था कि अगर अगले चुनाव में कंरवेटिव पार्टी की संभावनाएं बेहतर करनी हैं तो नेतृत्व में परिवर्तन जरूरी हो गया है। वहीं, बोरिस जॉनसन ने अपने मंत्रियों से कहा है कि, अगर उन्होंने इस्तीफा दे दिया तो पार्टी में हड़कंप मच जाएगा औऱ अगले चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी की बुरी तरह हार होगी। उन्होंने कहा कि, इस्तीफे की वजह से जल्द चुनाव कराने पड़ेंगे।