अमेरिका-यूरोपियन यूनियन और नाटो देशों की रूस को झुकाने की लिए सारी कोशिशें नाकाम हो चुकी हैं। इन देशों के प्रतिबंधों के जवाब में रूस ने बहुत कम उठाए हैं। फिर भी रूस मजबूती से खड़ा है और युक्रेन में परोक्ष तौर पर लड़ रहे लगभग 32 देशों को धता बता कर यूक्रेन को धुएं और राख के ढेर में बदल दिया है। रूस का लगातार विरोध कर रहे देशों पर रूस ने बस एक ही हण्टर चलाया है। इसकी मार से यूरोप और नाटो देश ही नहीं बल्कि अमेरिका भी हिल गया है। ये लोग यूक्रेन को मिलिट्री एड भले ही दे रहे हों लेकिन एक ऐसा काम है जो रूस के इशारे पर ही कर रहे हैं। वो है रूस से तैल और गैस की खरीददारी। रूस ने कहा है कि जो देश डॉलर या रूबल में तैल-गैस नहीं खऱीदेंगे उनकी आपूर्ति रोक दी जाएगी। यही कारण है कि रूस की अर्थ व्यवस्था दो महीने के युद्ध के बावजूद मजबूती से खड़ी हुई है। सारे यूरोपीय देश रूस की शर्तों पर गैस-तैल खरीद रहे हैं। कहने का मतलब यह है कि यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस के खिलाफ कुछ भी करें लेकिन उन्हें जिंदा रहने के लिए रूस से गैस-तैल की खरीददारी करनी ही पड़ेगी।
अमेरिका के इशारों पर यूक्रेन युद्ध का विरोध कर रहे पोलैंड और बुल्गारिया को गैस रूस ने आज से सप्लाई रोकने की धमकी दी है। रूस की दिग्गज गैस कंपनी ने गजप्रोम (Gazprom) ने पोलैंड और बुल्गारिया से कहा है कि वह बुधवार से गैस की आपूर्ति रोक देगी। रूस यूरोप को गैस की सप्लाई करने वाला प्रमुख देश है। 24 फरवरी को यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के शुरू होने का बाद से पोलैंड और बुल्गारिया पहले ऐसे देश हैं जिनके खिलाफ रूस ने पहली बार इस तरह का कदम उठाया है।
यूक्रेन पर हमले के बाद से अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों की तरफ से रूस पर कई प्रतिबंध लगाए गए हैं। ऐसे में रूस की मुद्रा रूबल कमजोर करने की कोशिश की है। ऐसे में रूस ने गैस की सप्लाई की एवज में रूबल में पेमेंट करने की मांग रखी है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मांग की है कि जिन देशों को वह दोस्त नहीं मानते, वे एक ऐसी योजना के लिए सहमत हों जिसके तहत वे गज़प्रॉमबैंक में खाते खोलें और यूरो या डॉलर में रूसी गैस आयात के लिए पेमेंट करेंगे जो कि रूबल में परिवर्तित हो जाएंगे। ऐसे में रूस का विदेशी मुद्रा भंडार भी मजबूत हो जाएगा। पिछले हफ्ते, यूरोपीय कमिशन ने कहा था कि यूरोपीय संघ की कंपनियां प्रतिबंधों का उल्लंघन किए बिना रूबल में गैस भुगतान लेने की रूस की मांग पर सहमत हो सकती हैं।
पोलैंड मास्को का कट्टर राजनीतिक विरोधी है। पोलिश गैस कंपनी PGNiG ने कहा है कि वह भुगतान की नई योजना का पालन नहीं करेगी और अनुबंध का विस्तार नहीं करेगी। पोलैंड की कंपनी का रूस के साथ गैस सौदा इस साल के अंत में समाप्त हो रहा है। पोलैंड की कंपनी ने पिछले साल गज़प्रोम के साथ अपने गैस ट्रांजिट सौदे का विस्तार नहीं किया था। तब से, रूसी गैस प्रोवाइडर को बेलारूस से पोलैंड तक यमल-यूरोप पाइपलाइन के माध्यम से पाइपलाइन क्षमता के लिए नीलामी में हिस्सा लेना पड़ा था। पोलैंड की कंपनी का रूसी कंपनी गज़प्रोम के साथ 10.2 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) प्रति वर्ष का कॉन्ट्रेक्ट है। यह पोलैंड की राष्ट्रीय खपत का लगभग 50 फीसदी है। पिछले साल तो पौलेण्ड ने जैसे-तैसे काम चला लिया, लेकिन इस बार विकल्पों पर काम करना मुश्किल होगा। क्योंकि पौलेण्ड के लिए दूसरे विकल्पों से गैस-तैल खरीदना काफी महंगा साबित हो सकता है जिससे उनकी अर्थ व्यवस्था पर प्रतिकूल हो सकता है। यही हाल फिनलैण्ड का भी है।