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UN ने लगाई तालिबान को फ़टकार, महिलाओं पर लगे प्रतिबंधों को हटाने पर दिया ज़ोर

UN ने लगाई तालिबान को फ़टकार, महिलाओं पर लगे प्रतिबंधों को हटाने पर दिया ज़ोर

UN on Taliban: एक के बाद एक नया प्रतिबन्ध! जब से अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान रूल आया है ,वहां पर सिवाएँ महिलाओं के ऊपर प्रतिबंधों के अलावा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है।अफगानिस्तान पर जब तालिबान ने कब्जा किया तो डर के मारे अफगानी नागरिक अपना घर बार सबकुछ छोड़कर पलायन करने लगे। हर किसी को बस यही था कि किसी तरह वह किसी दूसरे देश में सुरक्षित पहुंच जाए। पूरे अफगान में तालिबान के लौट आने का खौफ था। जिस तालिबान ने दुनिया से वादा किया था कि वो औरतों की सुरक्षा की गारंटी लेता है और उनकी आज़ादी नहीं छीनेगा वो सबकुछ झूठ था। अफगान पर कब्जा करते ही तालिबान ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया। दुनिया के सामने मासूम बनता रहा कि, वो सरिया कानून लागू नहीं करेगा। लेकिन, उसके नियम सरिया कानून से कम नहीं हैं।

महिलाओं की जिंदगी तो पूरी ही खत्म हो गई है। महिलाओं की पढ़ाई से लेकर अब तो महिलाओं के खाने तक पर प्रतिबन्ध हैं। अगर बिना हिजाब के महिला दिख गई तो उसे तो सीधा मौत के घाट उतरने का हुकुम है। महिलाएं भी उसी समाज का हिस्सा है जिस समाज के वहाँ के पुरुष हैं। महिलाएं भी एक जीता जागता इंसान हैं। लेकिन इनके लिए तो महिलाएं किसी जानवर से कम नहीं है ,जिसे जैसा चाहा वैसा कर दिया, जहा चाहा खड़ा कर दिया ,जो चाहा वह खिला दिया। अगर देखा जाएँ तो इंसान अपने पालतू जानवर से भी उसकी मर्ज़ी या पसंद जान लेगा लेकिन यह तो इससे भी बदतर है।

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सबसे पहले इन तालिबानियों ने महिलाओं की पढ़ाई पर रोक लगाई। फिर उनके काम करने पर रोक लगाई। अब तो हद ही कर दी ,उनके बाहर आने जाने पर तक रोक लगा दी है। इस्लाम इस्लाम का राग अलापने वाला तालिबान दूर से दूर तक इस्लाम के बताए हुए रास्ते पर नहीं चलता है। इस्लाम बेहद खूबसूरत मज़हब है। इसमें हिंसा की अवधारणा कहीं नहीं है।

अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN) यानी यूएन सिक्योरिटी काउंसिल ने तालिबान के इस रवैये पर गहरी चिंता जाहिर की है।अब UN ने महिलाओं के काम पर प्रतिबन्ध हटाने पर ज़ोर दिया है। महिलाओं के अधिकारों पर लगी रोक को हटाने की मांग करी है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी 15 सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से लाए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि अफगानिस्तान में अप्रैल की शुरुआत में घोषित पाबंदी मानवाधिकारों और मानवीय सिद्धांतों को कमजोर करता है।

UN ने लगाई तालिबान को फ़टकार

UN ने महिलाओं पर लगाई गई सारी पाबंदिया हटाने की मांग करी है। पढ़ाई से लेकर उनके रोज़गार और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी में पूरी तरह से छूट देने का आह्वान किया है।महिलाओं भी इसी समाज का अंग हैं। उन्हें भी अपने फैसले लेने का अधिकार है।