अमेरिका (US) की तरफ से रूस के खिलाफ जारी जंग में यूक्रेन को काफी हथियार दिए गए हैं। इनमें से एक है दुनिया के बेस्ट ड्रोन का टाइटल रखने वाला प्रीडेटर ड्रोन (predator drones)। यूक्रेन की जंग में रूस की सेना के खिलाफ यह ड्रोन पूरी तरह से एक फेल्योर साबित हो रहा है। कहा यह भी जा रहा है कि इस ड्रोन को जंग में रूस की सेना के सामने खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि यूक्रेन की सेना की तरफ से यूज हो रहे प्रीडेटर ड्रोन और पश्चिमी देशों के कुछ और ड्रोन को रूस के इलेक्ट्रॉनिक जैमर ने बार-बार असफल कर दिया है।
सैन्य गतिविधियों में बाधा
रूस के इलेक्ट्रॉनिक सिक्योरिटी सिस्टम ने हजारों पश्चिमी ड्रोन्स को ढेर कर दिया है जिनमें प्रीडेटर भी शामिल है। साल 2014 में क्रीमिया पर रूस के हमले और सीरिया में आईएसआईएस के खिलाफ उसके युद्ध ने रूस की सेना को इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमताओं को विकसित करने के लिए प्रेरित किया था। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार रूसी इलेक्ट्रॉनिक वॉर (ईडब्ल्यू) ने सैटेलाइट्स ड्रोन (satellites drones) , कम्युनिकेशन और सैटेलाइट नेविगेशन सिग्नल्स को ब्लॉक किया है। इसके अलावा कई तरह के उपकरणों का प्रयोग करके यूक्रेन की सैन्य गतिविधियों में बाधा पैदा की है।
अमेरिका के सामने बड़ी चुनौती
आर्टिकल में कहा है कि रूस की सेना नियमित तौर पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक का शिकार होती है। ऐसे में अपने विरोधियों पर हमला करते समय रूस की सेना फ्रेंडली सिग्नल के जाम होने की बहुत ज्यादा परवाह नहीं करती है। रिसर्च के मुताबिक जाम होने के बाद भी जेडीएएम अभी भी काफी उपयोगी है। युद्ध के बाकी स्वरूपों की तरह इलेक्ट्रॉनिक युद्ध शतरंज के खेल की तरह होता है। इसमें हर चाल के बाद एक जवाबी चाल होती है।
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दी गयी ये चेतावनी
सैन्य विश्लेषकों और यूक्रेन में जारी संघर्ष पर नजर रखने वाले जानकारों ने चेतावनी दी है कि रूस के इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग के कारण यूक्रेन को मिले अमेरिकी गाइडेंस हथियार अपनी चमक खो चुके हैं। ऐसे में अब ये हथियार लक्ष्य पर सटीक हमला करने में सक्षम नहीं हैं। यूक्रेन की सेनाओं ने भी इस बात को स्वीकार किया।