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US ने Russia के खिलाफ जो कदम उठाया उससे पूरी दुनिया में आने वाला है भूचाल- अब Putin भी चुप नहीं बैठेंगे

रूस के खिलाफ अमेरिका ने उठाया ये कदम तो दुनिया की अर्थव्यवस्था में मच जाएगा भूचाल

रूस ने जब से यूक्रेन पर हमला बोला है उसके बाद से ही अमेरिका और पश्चिमी देश एक के बाद एक कड़े प्रतिबंध लगा रहे हैं। इस बीच अमेरिका एक ऐसा कदम उठाने जा रहा है जिससे दुनिया भर की अर्थव्यवस्था में भूचाल आ सकता है। जंग के बीच अमेरिका रूसी तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाएगा। व्हाइट हाउस किसी भी वक्त इसका एलान कर सकता है। व्हाइट हाउस की पत्रकार जेनिफर जैकोब्स ने कहा है कि, उन्हें सूत्रों से इसकी जानकारी मिली है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडने भारतीय समायानुसार रात के 9:15 बजे देश को संबोधित करेंगे। इस दौरान बाइडेन रूस पर बड़ी पाबंदियों का ऐलान कर सकते हैं। बता दें कि अमेरिकी पाबंदी से दुनियाभर में तेल के दाम बढ़ेंगे। रूसी तेल पर पाबंदी से कच्चा तेल महंगा हो जाएगा। अब तब रूस पर कई आर्थिक पाबंदियां लगाई जा चुकी हैं। लेकिन अब जो अमेरिका करने जा रहा है उसके चलते पूरी दुनिया को इसका खामियाजा भूगतना होगा।

इधर रूस के उप प्रधानमंत्री ने कहा है कि अगर उसके एनर्जी सप्लाई पर बैन लगाया गया तो वह पश्चिमी देशों को 300डॉलर प्रति बैरल कच्चा तेल खरीदने को मजबूर कर देंगे। इसके साथ ही रूस-जर्मनी गैस पाइपलाइन को भी बंद करने देने की धमकी दी है। रूस के उप-प्रधानमंत्री एलेग्जेंडर नोवक ने कहा कि अगर रसियन ऑयल को खरीदने से मना किया जाता है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। इससे ग्लोबल मार्केट में तेल की कीमत आसमान छूने लगेगी। वह दिन दूर नहीं है जब कच्चे तेल का भाव 300डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाएगा। रूस का तेल अभी डिस्काउंट पर मिल रहा है, लेकिन कोई देश खरीदने की हिम्मत इसलिए नहीं कर रहा है क्योंकि इससे वह रूस का खुला समर्थक हो जाएगा। तेल निर्यात बैन हो जाने से रूस की इकोनॉमी को गहरा झटका लगेगा।

इसके आगे उन्होंने कहा कि, यूरोप अपनी जरूरत का ज्यादा तेल रूस से आयात करता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक है। वह रोजाना करीब 11मिलियन बैरल तेल उत्पादन करता है। इसका आधा हिस्सा वह निर्यात करता है। निर्यात में आधा केवल यूरोप को जाता है। यानी की रोजाना आधार पर वह यूरोप को 2.5-3मिलियन बैरल तेल निर्यात करता है। नोवक ने कहा कि अगर यूरोप रूस से तेल आयात बंद कर देता है तो उसे भारी एनर्जी क्राइसिस से जूझना होगा। यूरोप के नेताओं को इस बात को समझने की जरूरत है।