यूक्रेन पर हमला किए रूस को एक महीने से ऊपर हो गया है और इस जंग में यूक्रेन में रूसी सैनिकों ने भारी तबाही मचाई है। रूसी सैनिक लगातार एक-एक कर यूक्रेन के शहरों पर कब्जा कर रहे हैं। इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदोमिर जोलेंस्की को लगा था कि, अमेरिका और नाटो उन्हें बचाने आएंगे। लेकिन, किसी भी पश्चिमी देश ने रूस के खिलाफ अपनी सेना यूक्रेन में नहीं उतारी। अमेरिका और नाटो तो यही चाहते ही थे कि यूक्रेन पर हमला होते ही वो रूस पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर देंगे जिससे, पुतिन का देश आर्थिक मार झेलागा और वो कमजोर हो जाएंगे। अगर इस जंग में किसी को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है तो वो हैं पश्चिमी देश। नाटो देश एक बार फिर से जंग को भड़काने का काम कर रहे हैं।
रूस और यूक्रेन के बीच मंगलवार को तुर्की के इंस्ताबुल में आमने-सामने की वार्ता शुरू हुई और खत्म होने के बाद कहा गया कि, ये काफी सार्थक बातचीत रही। उम्मीद लगाई जा रही है कि युद्ध समाप्त किए जाने पर जल्द सहमति बन सकती है। लेकिन, इस बीच नाटो अचानक से बीच में घुसकर जंग को फिर भड़काने की कोशिश कर रहा है। दरअसल उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) ने मंगलवार को यूक्रेन को 6 और 7 अप्रैल को ब्रसेल्स में होने वाले शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। यूक्रेन के अलावा यह आमंत्रण अन्य गैर-सदस्य देश जॉर्जिया, फिनलैंड, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, और कोरिया गणराज्य को भी भेजा गया है।
तुर्की में बैठक के बाद माना जा रहा है कि, यूक्रेन पर रूसी अटैक अब रूक सकता है। यहां रूस ने यूक्रेन के सामने अपनी शर्त रखी, जिसमें नाटो में शामिल होने की अपनी पुरानी महत्वकांक्षा को छोड़ना भी शामिल है। यूक्रेन को सुधरने के बाद बाद रूस ने अश्वासन दिया है वह इस्तांबुल में सार्थक वार्ता के बाद कीव के आसपास सैन्य गतिविधियों को कम करेगा। रूस द्वारा 24 फरवरी को यूक्रेन पर शुरू किए गए हमले के बाद पहली बार है, जब रूस ने कुछ नरमी के संकेत दिए हैं। इसके बदले में यूक्रेन ने अंतरराष्ट्रीय गारंटी के साथ तटस्थ रहने का आश्वासन दिया है।
ऐसे में अब यूक्रेन नाटो में शामिल होने की अपनी जिद को छोड़ देगा। जिसके बाद रूस अपने सैनिकों के वापसी का ऐलान करेगा। लेकिन, ऐसे में नाटो द्वारा आमंत्रण दिए जाने के बाद यूक्रेन का अलगा कदम क्या होगा ये काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यूक्रेन पर रूसी अटैक का एक कारण ये भी माना जा रहा है कि वह नाटो में शामिल होने जा रहा था, जिससे रूस के ऐतराज है। ऐसे में अब यूक्रेन के ऊपर है कि वो जंग को रोक दे या फिर अगर वो नाटो के बात को मानो तो फिर पुतिन जंग और तेज कर देंगे और इसबार पूरा यूक्रेन खत्म हो सकता है।