उत्पादन में कमी के बीच पाकिस्तान का गेहूं आयात बढ़ रहा है। अनाज की बेतहाशा जमाखोरी ने इस दक्षिण एशियाई देश में आटे के संकट को और गहरा कर दिया है, जिसे कभी गेहूं के निर्यातक के रूप में जाना जाता था। कुछ दिनों पहले, पाकिस्तान आटा मिल एसोसिएशन ने आटे की कमी को दूर करने के लिए शहबाज़ शरीफ़ सरकार से तत्काल आधार पर कम से कम दस लाख टन गेहूं आयात करने को कहा था।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने कहा, “गेहूं के बम्पर उत्पादन के सरकार के दावों के विपरीत, पंजाब और सिंध की प्रांतीय सरकारों द्वारा इस साल गेहूं की ख़रीद पर रोक लगाने के कारण आटा मिलें खाली हैं।इससे मुख्य अनाज की भारी किल्लत हो रही है।”
पिछले साल की विनाशकारी बाढ़ ने पंजाब और सिंध जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में खेती योग्य भूमि के बह जाने के बाद समस्या को और बढ़ा दिया। औसतन, देश का गेहूं आयात सालाना 2 अरब डॉलर का है। इस्लामाबाद पर गेहूं का आयात बढ़ाने के लिए दबाव डाला जा सकता है।
एसएंडपी ग्लोबल के मुताबिक, पाकिस्तान के गेहूं उत्पादन में पंजाब और सिंध की हिस्सेदारी क्रमश: 77 फीसदी और 15 फ़ीसदी है। बाढ़ के कारण इन क्षेत्रों में फ़सलों का बड़ा हिस्सा न केवल नष्ट हो गया, बल्कि बीज और अन्य भंडारण सुविधाओं को भी नुकसान पहुंचा है।
देश का गेहूं उत्पादन पिछले कुछ वर्षों से कमोबेश स्थिर बना हुआ है। उत्पादन वृद्धि जनसंख्या वृद्धि के अनुरूप नहीं है। खेती की ज़मीन भी सिमट गयी है।
इस बीच गेहूं और अन्य खाद्य पदार्थों की कमी ने महंगाई को बढ़ा दिया है। मई में पाकिस्तान की खाद्य मुद्रास्फीति पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में 48.65 प्रतिशत तक पहुंच गयी। संकटग्रस्त इस दक्षिण एशियाई देश में खाद्य क़ीमतें लगातार बढ़ रही हैं। जनवरी में खाद्य महंगाई दर 42.9 फ़ीसदी थी।
साल की शुरुआत से ही शरीफ़ सरकार को शर्मिंदा करने वाले खाद्य ट्रकों का पीछा करने वाले लोगों की तस्वीरें और वीडियो सामने आये हैं, जो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के 6.5 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज को फिर से शुरू करने की सख्त कोशिश कर रही है। मुफ़्त के भोजन के इंतजार में न सिर्फ़ कई लोगों की मौत हुई है। बढ़ते संकट के बीच सैकड़ों लोग भूखे रह रहे हैं।
आईएमएफ़ ऋण फिर से शुरू होने पर भी संकट के जल्द ही समाप्त होने की संभावना नहीं है। घटते विदेशी मुद्रा भंडार के बीच देश को इस महीने के अंत तक लगभग 3.7 बिलियन डॉलर का पुनर्भुगतान करना है, जो वर्तमान में केवल 4 बिलियन डॉलर है- जो मुश्किल से कुछ हफ्तों के आयात के लिए भुगतान करने के लिए पर्याप्त है। देश के बाहर रहने वाले एक पाकिस्तानी उद्यमी ने इंडिया नैरेटिव को बताया, “इसलिए भले ही देश को आवश्यक वित्तीय सहायता मिल जाए, इसका उपयोग बाहरी ऋण चुकाने के लिए किया जाएगा, घरेलू स्थिति में बहुत बदलाव नहीं आयेगा।”