रूस ने प्लान के मुताबिक, रूसी सैनिकों को दो दिनों के अंदर यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा करना था, लेकिन छह दिन के बाद भी यूक्रेन और रूस की लड़ाई जारी है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि रूसी सेना अब कीव के चारों तरफ पहुंच चुकी है। ऐसे में संभावना है कि कीव पर कब्जा करने में अब ज्यादा समय नहीं लगेगा। अगर रूस कीव कर कब्जा नहीं कर पाता है तो फिर युद्ध कई दिनों तक और लंबा खिंच सकता है। हालांकि रूस से जुड़े सूत्रों का दावा है कि 9 मार्च तक रूस, यूक्रेन को पूरी तरह से कब्जे में ले लेगा और हो सकता है उसके बाद ये युद्ध थम जाए।
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रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो यूक्रेन पर कब्जे को लेकर रूस का आकलन सही नहीं निकला। इसके अलावा कुछ और कारण भी इस बीच उत्पन्न हो गए। जैसे यूक्रेन की नागरिक भी युद्ध में कूद पड़े, यूक्रेन को कई देशों से मदद भी मिलने लगी। तीसरे, रूस पर अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का दबाव भी है, इसलिए उसकी कोशिश है कि युद्ध में नागरिकों को नुकसान न्यूनतम हो। इसलिए रूस उस आक्रामकता के साथ युद्ध नहीं कर रहा है। इन सब कारणों के चलते युद्ध लंबा खिंच रहा है। इसके किसी मुकाम तक पहुंचने में एक सप्ताह का समय और लग सकता है।
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एक्सपर्ट्स का कहना है यह स्पष्ट है कि रूस अब किसी भी सूरत में पीछे हटने वाला नहीं है। युद्ध खत्म होने की दो ही स्थितियां हैं, एक यूक्रेन समर्पण कर दे और दूसरा रूस उस पर काबिज हो जाए। उन्होंने कहा कि इसमें कुछ समय और लग सकता है, लेकिन यह समय बहुत ज्यादा नहीं होगा क्योंकि यूक्रेन के लिए लंबे समय तक मुकाबला करते रहना आसान नहीं होगा। युद्ध का बड़ा आकार लेने या विश्व युद्ध जैसे खतरे की आशंका नहीं के बराबर है क्योकि नाटो सेनाएं अपने रुख को पहले ही स्पष्ट कर चुकी हैं। लेकिन इस युद्ध से नुकसान पूरी दुनिया को होगा। युद्ध जितना लंबा खिंचेगा नुकसान उतना बढ़ता जाएगा।