अंतर्राष्ट्रीय

ज़रूरी है कि भारत पाकिस्तान के साथ पृथ्वीराज सिंड्रोम से आये बाहर

भारत के एनएसए अजीत डोभाल और तत्कालीन आईएसआई प्रमुख फ़ैज़ हमीद के संयुक्त अरब अमीरात में मिलने के बाद इस बारे में कई बातें सामने आयीं कि भारत और पाकिस्तान (Pakistan) रिश्तों की जमीं बर्फ़ को पिघला रहे हैं और शांति परिदृश्य संभव है। डोभाल-फ़ैज़ की मुलाक़ात के तुरंत बाद पाकिस्तान ने पार्टियों के बीच हस्ताक्षरित 2003 के युद्धविराम समझौते को फिर से शुरू करके अपनी प्रतिबद्धता दिखायी। 2020 में 4,645 संघर्षविराम उल्लंघन की तुलना में 2021 की समझ के बाद से केवल 3 और 2022 में केवल 1 घटना हुई। मार्च 2021 में तत्कालीन सेनाध्यक्ष (सीओएएस) कमर जावेद बाजवा ने इस्लामाबाद सुरक्षा सम्मेलन में एक चौंकाने वाली टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह भारत और पाकिस्तान के लिए अतीत को दफ़नाने और आगे बढ़ने का समय है। लेकिन, अगस्त 2021 में काकुल स्थित पाकिस्तान सैन्य अकादमी में एक भाषण के दौरान उन्होंने फिर से कश्मीर का मुद्दा उठाया और इस बात पर अफ़सोस जताया कि कैसे भारत इस पर कब्ज़ा किए हुआ है और कैसे पाकिस्तान कश्मीरी लोगों का समर्थन करना जारी रखे हुआ है।

जनवरी, 2023 को बाजवा के क़रीबी कहे जाने वाले पाकिस्तानी पत्रकार जावेद चौधरी ने एक लेख लिखा था, जिसमें दावा किया गया था कि भारत और पाकिस्तान अप्रैल, 2021 में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के क़रीब थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नौ दिनों के लिए पाकिस्तान का दौरा करना था, जहां उन्हें बलूचिस्तान में हिंगलाज माता मंदिर की यात्रा करनी थी।उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी हिंगलाज माता के भक्त हैं। इसके बाद पीएम मोदी और पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम इमरान ख़ान शायद दोनों देशों के बीच दोस्ती की घोषणा करते हुए एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करते। माना जाता है कि उस शांति समझौते के तीन महत्वपूर्ण घटक थे- व्यापार, कोई आतंकवाद नहीं और 20 वर्षों के लिए कश्मीर मुद्दे को दबा देना। बाजवा ने बताया कि यह ख़ान ही थे, जिन्होंने शांति समझौते को तोड़ दिया था, क्योंकि उन्हें लगा था कि कश्मीर पर किसी भी तरह का समझौता उनके राजनीतिक करियर को ख़त्म कर देगा।

पत्रकार चौधरी की इस कहानी के बाहर आने के कुछ दिनों बाद सनसनीख़ेज ख़बर सामने आयी, जहां प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (shehbaz sharif) ने संयुक्त अरब अमीरात में एक अल अरबिया पत्रकार को एक साक्षात्कार देते हुए कहा कि “यह हमारे ऊपर है कि हम शांति से रहें और प्रगति करें या झगड़ा करें और एक-दूसरे का समय और संसाधन बर्बाद करें।” । भारत के साथ हमारे तीन युद्ध हुए हैं और इन युद्धों ने लोगों के लिए और अधिक दुख, ग़रीबी और बेरोज़गारी ही लायी है। हमने अपना सबक सीख लिया है और हम शांति से रहना चाहते हैं, बशर्ते हम अपनी वास्तविक समस्याओं को हल करने में सक्षम हों। हम ग़रीबी को कम करना चाहते हैं, समृद्धि प्राप्त करना चाहते हैं, और अपने लोगों को शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधायें और रोज़गार प्रदान करना चाहते हैं और बम और गोला-बारूद पर अपने संसाधनों को बर्बाद नहीं करना चाहते, यही संदेश मैं पीएम मोदी को भी देना चाहता हूं।

जिस दिन शरीफ़ ने यह शांति प्रस्ताव दिया था, उसी दिन पाकिस्तानी पीएमओ द्वारा अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के माध्यम से एक स्पष्टीकरण दिया गया था कि भारत के साथ शांति वार्ता तभी संभव है, जब भारत 5 अगस्त 2019 के अपने उन कार्यों को वापस ले ले, जिसमें कश्मीर का विशेष दर्जा वापस ले लिया गया था। जहां पाकिस्तान का राजनीतिक नेतृत्व एक बयान दे सकता है, वहीं उनकी संस्थायें इसका खंडन करने की संभावना रखती हैं और यहां तक कि पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के भीतर भी विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा अलग-अलग टिप्पणियां करने की संभावना रहती है, जिससे पाकिस्तान को उसके शब्द पर भरोसा करना मुश्किल हो जाता है।

पाकिस्तानी सेना अपने राजनीतिक नेतृत्व से बहुत अलग नहीं है 

6 अगस्त, 2019 को तत्कालीन थलसेनाध्यक्ष बाजवा ने कहा कि पाकिस्तान ने दशकों पहले अनुच्छेद 370 या अनुच्छेद 35- A के माध्यम से जम्मू-कश्मीर पर अपने कब्ज़े को वैध बनाने के दिखावटी भारतीय प्रयासों को कभी मान्यता नहीं दी। लेकिन, इस्लामाबाद में ब्रिटेन के उच्चायुक्त क्रिश्चियन टर्नर के साथ बंद कमरे में हुई बैठक में बाजवा ने कहा कि भारत के साथ शांति के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 35 A की बहाली ज़रूरी है। अनुच्छेद 35A ने बाहरी लोगों को जम्मू-कश्मीर के पूर्ववर्ती राज्य में ज़मीन ख़रीदने से रोक दिया था।

पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) और देश के अन्य हिस्सों में अपनी तरफ़ आतंकी ढांचे को बनाये रखना जारी रखे हुआ है। जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। संघर्ष विराम समझौते के नवीनीकरण के बाद से 2021 में नागरिकों और सुरक्षा बलों की हत्याओं की कुल संख्या क्रमशः 36 और 45 थी। जबकि 2022 में नागरिकों और सुरक्षा बलों में से प्रत्येक में से मृतकों की संख्या 30 थी। युद्धविराम समझौते से पहले 2020 में नागरिकों और सुरक्षा बलों की यह संख्या 33 और 56 थी। पाकिस्तान (Pakistan) ने अपने तौर-तरीक़ों को संशोधित किया है, क्योंकि संघर्ष विराम का उल्लंघन नगण्य रहता है, लेकिन नवगठित आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ़्रंट (टीआरएफ) के माध्यम से हिंदुओं पर हमले बढ़ गए हैं, जो कि लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की एक शाखा है,जिसे अनुच्छेद 370 के हटाये जाने के बाद में पाकिस्तान द्वारा बनाया गया था।

ये भी पढ़े: Pakistan Economy Crisis:जाने कैसे ख़राब हुई पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ?

बढ़ते वैश्विक दबाव के साथ पाकिस्तान विभिन्न माध्यमों से आतंकवाद का निर्यात कर रहा है। उदयपुर के दर्जी कन्हैया लाल के हत्यारों में से एक गौस मोहम्मद का कराची स्थित बरेलवी संगठन दावत-ए-इस्लामी (डीईआई) से सम्बन्ध हैं और वह 2014 में कराची आया था। पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर का हत्यारा इसी संगठन से सम्बन्धित है। जनवरी, 2023 में इसी तरह की एक डरावनी ख़बर सामने आयी थी, जिसमें पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह हरक़त-उल-अंसार ने नौशाद को प्रभावशाली हिंदुओं को मारने के लिए प्रभावित किया था। इन उदाहरणों से पता चलता है कि भारत के साथ शांति की दुहाई देने के बावजूद पाकिस्तान ने भारत को हज़ार चोटें देने की अपनी घोषित योजना को जारी रखे हुआ है।

यह विभिन्न स्तरों पर गड़बड़ी पैदा करके भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता रहता है। अकेले पंजाब में ही साल 2022 में कुल 266 ड्रोन की घटनाएं हुईं, जिनका इस्तेमाल नशीले पदार्थों, बंदूकों और ग्रेनेड की आपूर्ति के लिए किया जाता था। दिसंबर 2022 में भारतीय तटरक्षक द्वारा 10 चालक दल के सदस्यों के साथ 40 किलो ड्रग्स और हथियारों के साथ एक पाकिस्तानी नाव को ज़ब्त कर लिया गया था। पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था संकट में है और वह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 1 अरब डॉलर का राहत पैकेज जुटाने के लिए संघर्ष कर रही है। तहरीक़-ए-तालिबान (टीटीपी) द्वारा पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर गंभीर हमले इस आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। इन दिनों भारत के लोगों को पाकिस्तान के विभिन्न हलकों से शांति और भाईचारे के सम्बन्ध में बड़ी-बड़ी बातें सुनने को मिलेंगे, लेकिन पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड महत्वपूर्ण है।

आइए पिछले 20 सालों की कुछ बड़ी घटनाओं पर डालते हैं नज़र।

1999 में जब अटल बिहारी वाजपेयी दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए पाकिस्तान गए थे, तब पाकिस्तान के सीओएएस जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने कारगिल युद्ध की शुरुआत कर दी थी। इसके तुरंत बाद 2001 में भारतीय संसद पर पाकिस्तान समर्थित लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) द्वारा हमला किया गया था। आगरा शिखर सम्मेलन के ख़त्म होने का एक प्रमुख कारण यह था कि संयुक्त घोषणापत्र के मसौदे में सीमा पार आतंकवाद के संदर्भ शामिल नहीं थे।

2006 में पाकिस्तान (Pakistan) के आतंकवादियों ने कई ट्रेन विस्फोटों में 200 भारतीयों को मार डाला था। 2008 में 26/11 हुआ था, जिसमें लश्कर के 10 आतंकवादियों ने 166 लोगों को मार डाला था। दिसंबर 2015 में पीएम मोदी पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को उनकी पोती की शादी में बधाई देने के लिए पाकिस्तान गए थे और उसके कुछ ही दिनों बाद जनवरी, 2016 में पठानकोट में भारतीय बेस पर पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हमला कर दिया था।

सितंबर,2016 में जैश-ए-मोहम्मद के चार आतंकवादियों ने उरी सैन्य शिविर पर हमला कर दिया था, जिसमें 19 सैनिक मारे गए थे; कुछ ही दिनों बाद भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक के ज़रिए एलओसी के पार जवाबी कार्रवाई की थी। फ़रवरी, 2019 में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने सीआरपीएफ़ के काफ़िले को ले जा रही एक बस के साथ एक विस्फोटक से भरी कार को टक्कर मार दी थी, जिससे 40 सैनिकों की मौत हो गयी थी, भारत ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करके हवाई हमला किया और बालाकोट, ख़ैबर पख़्तूनख़्वा पर जमकर बमबारी कर दी। 16 फ़रवरी, 2023 को, सुरक्षा बलों ने कश्मीर के बारामूला के तंगधार सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया था और एक आतंकवादी को मार गिराया था। 8-9 मार्च को अमृतसर सेक्टर से घुसपैठ कर रहे एक बांग्लादेशी नागरिक को गिरफ़्तार किया गया।

इसके अलावा 10 मार्च को बीएसएफ़ ने पंजाब के फ़िरोज़पुर बॉर्डर से घुसपैठियों को पकड़ा था। भारत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह पाकिस्तान की ज़िम्मेदारी है और पड़ोसी रिश्ते तभी विकसित हो सकते हैं, जब पाकिस्तान से कोई आतंक या हिंसा न हो, जो कि इसलिए मुश्किल लगता है, क्योंकि पाकिस्तान बदलाव का विरोधी है। जिस समय मैं यह लेख लिख रहा हूं,उस समय पाकिस्तान की महत्वपूर्ण हस्तियों के बयान उनके वास्तविक इरादे को दर्शाते हैं। कराची लिटरेचर फ़ेस्टिवल, 2023 में बोलते हुए रिटायर्ड सैनिक अधिकारी मेजर जनरल अतहर अब्बास, पूर्व डीजी आईएसपीआर ने कहा कि पाकिस्तान को अपनी अर्थव्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए और पाकिस्तान जैसे ही अपनी स्थिति सुधार लेता है,वैसे ही वह भारत से निपट सकता है। इसी तरह, एशिया समूह के उपाध्यक्ष, उज़ैर यूनुस, जिनकी भारत यात्रा ने सीमा के दोनों ओर सभी को चकित कर दिया,उन्होंने सुझाव दिया कि पाकिस्तान को अपनी अर्थव्यवस्था को विकसित करना चाहिए और एक बार तरक़्क़ी हासिल हो जाने के बाद वह भारत से निपट सकता है।

अब समय आ गया है कि भारत पाकिस्तान को लेकर जागे और अपने पृथ्वीराज सिंड्रोम से बाहर निकले। पृथ्वीराज सिंड्रोम, जैसा कि नाम से ही पता चलता है, सम्राट पृथ्वीराज चौहान और उनकी पराजय को लेकर है। 1191 में मोहम्मद गौरी, पृथ्वीराज चौहान के साथ लड़ा था और तराइन की पहली लड़ाई में हार गया था। चौहान, गोरी को आसानी से मार सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, जिसके बाद तराइन की दूसरी लड़ाई 1192 में हुई, जिसमें गोरी ने बिल्कुल रहम नहीं दिखायी और पृथ्वीराज को मार डाला। भारत ने बार-बार पृथ्वीराज चौहान की इसी विरासत का पालन किया है और लगातार उसी तरह का धोखा खाया है, जैसा कि गौरी ने चौहान को धोखा दिया था। मैं इस लेख को पृथ्वीराज रासो के एक दोहे का उल्लेख करते हुए भारत को पाकिस्तान की मंशा को समझने की चेतावनी के साथ समाप्त करना चाहता हूं:

इस बार तो मत चुके हिंदुस्तान
नहीं तो फिर से चौंकेगा हिंदुस्तान
अंग्रेज़ी में मूल लेख को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: Why India must shed its Prithviraj Syndrome with Pakistan

Mark Kinra

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago