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बातचीत के लिए घुटनों पर आया पाक! फिर भी भारत ने नहीं दिया भाव, समझें असली वजह

शरीफ के 'टॉक ऑफर' में भारत ने किया अनसुना

पाकिस्तान (Pakistan) का नाम सुनते ही हर किसी के जेहन में एक ही चीज आता है वो है आतंकवाद। पाकिस्तान ने आतंकवाद को खुब पाला पोसा, इतना आतंकियों को पनाह दे दिया कि आज यही उसके लिए नासूर बन बैठे हैं। हालत ऐसी की कटोरा लेकर दुनिया से पाकिस्तान भीख मांग रहा है लेकिन, दूसरी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है और हमेशा की तरह इस बार भी बेइज्जती करवा ली है। दरअसल, पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पिछले दिनों कहा है कि क्षेत्र में विकास को ध्‍यान में रखते हुए वह पड़ोसी देश भारत के साथ बातचीत करना चाहते हैं। अमेरिकी विदेश विभाग की तरफ से भी बुधवार को जब एक रूटीन प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई तो उसमें भी भारत और पाकिस्‍तान के बीच बातचीत की वकालत की गई है। हैरानी की बात है कि शहबाज के इस ऑफर को न तो विदेश नीति के जानकारों ने कोई भाव दिया है और न ही भारत की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका की तरफ से भले ही भारत-पाक के बीच बातचीत को अहमियत दी गई हो लेकिन हकीकत यही है कि वह खुद इस मामले में भारत के रुख को जानता है।

शरीफ ने क्‍या कहा था?

शहबाज शरीफ ने इस्‍लामाबाद में हुए एक सम्‍मेलन के दौरान कहा था कि भारत और पाकिस्‍तान के बीच सन् 1947 में हुए बंटवारे के बाद से तीन युद्ध हो चुके हैं। इन युद्धों की वजह से पाकिस्‍तान को बस गरीबी, अशिक्षा और अव्‍यवस्‍था ही हासिल हुई है। ऐसे में अब वह बातचीत को तरजीह देना चाहते हैं। मगर शहबाज ने फिर वही पुराना परमाणु हथियार वाला राग अलाप दिया। शहबाज ने कहा, ‘पड़ोसी को समझना होगा कि जब तक कि असमान्‍यताओं को दूर नहीं किया जाता है तब तक स्थिति सामान्‍य नहीं हो सकती है। शहबाज की मानें तो पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति से संपन्‍न देश है। मगर इन हथियारों का मकसद अपने रक्षा उद्देश्यों को हासिल करना है। शहबाज का कहना था कि अगर कोई परमाणु हमला हुआ तो यह बताने के लिए कौन जीवित रहेगा कि क्या हुआ था? ऐसे में उन्‍होंने युद्ध को कोई विकल्‍प मानने से ही इनकार कर दिया। विशेषज्ञों की मानें तो शरीफ की पेशकश में कुछ भी नया नहीं है। पाकिस्तान में पनपे आतंकवाद ने भारत के साथ बातचीत की हर संभावना को खत्म कर दिया है।

पीएलए के साथ मना रहे जश्‍न

पाकिस्‍तान मामलों के जानकारों की मानें तो शहबाज ने ऐसे समय में ऑफर दिया है जब पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर चीन की पीपुल्‍स लिब्रेशन आर्मी (PAL) और पाकिस्‍तानी सेना को भाई करार दे रहे थे। जनरल मुनीर ने पिछले दिनों रावलपिंडी में सेना के मुख्‍यालय पर पीएलए की स्थापना के 96 साल पूरे होने के मौके पर यह टिप्‍पणी की थी। उन्‍होंने कहा था कि पीएलए और पाकिस्‍तान आर्मी एक दूसरे के सामूहिक हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। यही नहीं आज भी पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन और उनके कट्टरपंथी आका भारत में हिंसा भड़काने में आगे हैं। जम्‍मू कश्‍मीर से लेकर भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों तक पाकिस्‍तान की वजह से हालात मुश्किल हो चुके हैं। मोदी सरकार कई बार कह चुकी है कि पाकिस्तान के साथ तब तक कोई बातचीत नहीं हो सकती, जब तक आतंकवाद, ड्रग्स और कट्टरपंथ का इस्तेमाल भारत और उसके लोगों पर हमला करने के लिए किया जाता रहेगा।

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भारत ने दिखाई पाकिस्तान को औकता

बताते चले, भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान को उसके ही अंदाज में जवाब दिया है। भारत ने इस दौरान कहा, भारत पर झूठे आरोप लगाने से पहले पाकिस्तान को अपने देश की हालत देखनी चाहिए। भारत ने साफ किया कि जम्मू-कश्मीर पर बोलने से पहले पाकिस्तान को इस्लामाबाद से ‘सीमा पार आतंकवाद‘ को रोकना चाहिए। यह बात भारत की ओर से भारतीय मुख्य राजदूत मिजिटो विनिटो ने कहीय़ उन्होंने इस जवाब के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘राइट ऑफ रिप्लाई’ का उपयोग किया है। उन्होंने कहा कि, पाकिस्तान में जब दलित समुदाय से हजारों महिलाओं को जानबूझ कर अगवा किया जाता है, ऐसी मानसिकता पर हम क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं।