अफगानिस्तान में तालिबान के आते ही चीन और पाकिस्तान अपनी-अपनी चालें चल रहे हैं। चीन का शुरू से ही अफगानिस्तान के खजाने पर नजर है। और अब धीरे-धीरे चीन अपने रंग में आने लगा है और पाकिस्तान के रास्ते से चुपके से ड्रैगन अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस पहुंचा है। इस एयरबेस की एक खासियत है, जो दो दशक तक चले युद्ध के दौरान अमेरिका के लिए अफगानिस्तान का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा रहा था। और यह रणनीतिक रूप से भी काफी अहम माना जाता है जिसको लेकर चीन अपनी चाल चलने लगा है।
बगराम एयरबेस से अमेरिका के सबूत और डाटा जुटाने में लगी चीन
पाकिस्तान और चीन दोनों ही अफगानिस्तान में तालिबानी राज के बाद अपनी अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। खबर है कि चीन के प्रतिनिधिमंडल ने बीते हफ्ते बगराम एयरबेस का दौरा किया है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि, इस चीनी प्रतिनिधिमंडल में वरिष्ठ खुफिया और सैन्य अधिकारी शामिल थे। अभी साफतौर पर कुछ खुलासा नहीं हो सका है कि इन्होंने एयरबेस का दौरा क्यों किया, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि ये लोग यहां कथित तौर पर 'अमेरिका सबूत और डाटा जुटाने के लिए आए थे। खबरों की माने तो, ऐसा माना जा रहा है कि, चीन यहां तालिबान और पाकिस्तान के साथ मिलकर अपने शिंजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिमों पर नजर रखने के लिए सुविधा विकसित कर रहा है।
काबुल के बजाय पाकिस्तान रास्ते से बगराम एयरबेस पहुंचा चीन
रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि, इस दौरान सबसे बड़ी बात यह रही कि चीनी अधिकारी काबुल एयरपोर्ट पर उतरने के बजाया पाकिस्तान के रास्ते से यहां पहुंचे। चीनी अधिकारियों का बगराम एयरबेस आना भारत के लिए भी चिंता का विषय है। रिपोर्ट में सुत्रों के हवाले से कहा गया है कि, हम चीनी समूह के यहां आने की खबरों की पुष्टि कर रहे हैं, यह बेहद गंभीर है… अगर उन्होंने पाकिस्तान के साथ मिलकर यहां बेस स्थापित कर लिया, तो वह आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देंगे और क्षेत्र में अस्थिरता उत्पन्न होगी।