रूस की एस-400 मिसाइल सिस्टम को लेकर एक बार फिर भारत और अमेरिका के बीच रिश्ता चर्चाओं में है। कहा जा रहा हैं कि भारत धर्मसंकट है.. क्योंकि शीत युद्ध के दौरान भारत और रूस यानी सोवियत संघ के साथ मधुर संबंध रहे हैं। भारत अब भी अपनी रक्षा जरूरतों का 80 फीसद से ज्यादा सैन्य उपकरण रूस से ही खरीदता है। वहीं दूसरी तरफ भारत की सुरक्षा साझेदारी अमेरिका से काफी बढ़ी है। क्वाड के गठन के बाद दोनों देश एक दूसरे के नजदीक आए हैं।
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भारत, रूस के साथ अपनी पुरानी दोस्ती है। वहीं अमेरिका भी रक्षा साझेदार के तौर पर बेहद जरुरी हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच संबंधों को बनाए रखना भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। यह भारत के लिए एक धर्मसंकट की स्थिति है। ऐसे में भारत को अमेरिका को ये भरोसा दिलाना होगा कि रुस के साथ रक्षासौदे से नई दिल्ली और वाशिंगटन के रिश्तों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो इस रक्षा सौदे को लेकर अमेरिका तुर्की की तरह भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है।
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लेकिन सवाल ये हैं कि क्या सचमुच अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगा देगा ?, इसको लेकर विशेषज्ञों का कहना हैं कि अमेरिकी राजनेताओं दो ग्रुप में बंटे हुए है। जिसमें एक ग्रुप भारत के पक्ष में तो दूसरा ग्रुप भारत के विरोध में है। इसमें भारत को सपोर्ट करने वालों का पलड़ा भारी है। अमेरिका को यह समझाना होगा कि चीन के बढ़ते तनाव के बीच भारत के साथ उनके संबंध सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। ऐसे में अगर अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध लगाया तो ये सबसे बड़ी गलती होगी। क्योंकि अमेरिका के लिए इस इलाके में भारत एकमात्र ऐसा दोस्त है जो चीन को चुनौती देना चाहता है।