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अमेरिका के ‘सुसाइड बॉम्बर’ से थर्राया चीन, ताइवान को लेकर टकराव बढ़ा

अमेरिका के 'सुसाइड बॉम्बर' से थर्राया चीन

चीन के रिश्ते अपने पड़ोसी देशों के साथ अच्छे नहीं है। हमेशा की चीन की नीति विस्तार की रही है। ताइवान और चीन के बीच संबंध बेहद खराब हो गए हैं। कई बार दोनों देशों की सेना आमने-सामने आ चुकी है। हालांकि ताइवान को अमेरिका ता स्पोर्ट प्राप्त है जो कि चीन के लिए चिंता का विषय है। चीन को ये डर सता रहा है कि अमेरिका ताइवान का इस्तेमान उसके खिलाफ कर रहा है। चीनी विश्‍लेषकों ने आरोप लगाया है कि अमेरिका ताइवान का इस्‍तेमाल चीन के खिलाफ सुसाइड बॉम्‍बर के रूप में कर रहा है।

ये बात सही है कि अमेरिकी सैनिक ताइवान में मौजूद हैं और वो वहां की सेना को प्रशिक्षण दे रहे हैं। अमेरिकी सेना के प्रशिक्षण और संयुक्‍त राष्‍ट्र की सदस्‍यता के लिए सिफारिश के बाद चीन भड़क गया है। वहीं चीनी विश्‍लेषकों ने आरोप लगाया है कि अमेरिका ताइवान का इस्‍तेमाल चीन के खिलाफ आत्‍मघाती बम हमलावर के रूप में कर रहा है। उन्‍होंने चेतावनी दी कि अमेरिकी कार्रवाई से दोनों पक्ष पूर्ण युद्ध की ओर बढ़ सकते हैं। चीनी इतिहासकार निआल फर्गुसन ने ट्वीट किया कि अमेरिका ने ताइवान की रक्षा का प्रण ऐसे समय पर लिया है जब चीन के खिलाफ उसकी सैन्‍य ताकत कमजोर हुई है।

निआल ने कहा कि अमेरिका को चीन के मुकाबले में खड़ा होने के लिए अभी समय लगेगा। चीन ताइवान को अपने कब्‍जे में लेने के लिए आगे बढ़ रहा है। उन्‍होंने यह टिप्‍पणी उन खबरों के बाद की जिसमें कहा जा रहा है कि ताइवान के खिलाफ अमेरिका के गठबंधन बनाने से पहले चीन ताइवान पर कब्‍जा कर सकता है। अमेरिका के ताइवान में मौजूदगी बढ़ने का संकेत उस समय मिला जब ताइवान की राष्‍ट्रपति ने पहली बार स्‍वीकार किया कि ताइवानी सुरक्षा बलों को अमेरिका प्रशिक्षण दे रहा है।

ताइवान के रक्षा मंत्री ने भी कहा कि अमेरिका का और हमारा रिश्ता काफी पुराना है। आपको मालूम हो कि चीन और ताइवान के बीच तनवा काफी दिनों से चल रहा है। चीन कई बार ताइवान के हवाई क्षेत्र में लड़ाकू विमान घुसा चुका है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि चीन के पास 2025 तक प्रायद्वीप में घुसने की ‘व्यापक’ क्षमता होगी। चीन ताइवान को अपने राष्ट्रीय क्षेत्र का हिस्सा बताता है, जबकि लंबे गृह युद्ध के बाद 1949 में कम्युनिस्ट शासित चीन से अलग होने के बाद से यह स्वशासित देश रहा है। चिऊ ने कहा कि यह पिछले 40 वर्षों में चीन और ताइवान के बीच सबसे ‘गंभीर’ तनाव है।