दिवाली के आते ही देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण बढ़ जाता है और दिवाली के जाते ही यहां प्रदूषण इतना बढ़ जाता है कि लोगों को सांस तक लेने में परेशानी होती है। प्रदूषण के पीछे सबसे बड़े कारण पटाखें रहे हैं, जो बैन के बाद भी राजधानी समेत सभी शहरों में खूब आतिशबाजी की गई। राजधानी दिल्ली में इस वक्त जहरीली हवा बह रही है। इसके साथ ही एनसीआर के सारे प्रमुख शहरों में प्रदूषण एक बार फिर अपने टॉप पर पहुंच गया है।
प्रदूषण के चलते दिल्ली एनसीआर के सारे प्रमुख शहर शनिवार को 'डर्क रेड जोन' में पहुंच गए हैं। जिसमें गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा समेत कई अन्य शहर भी शामिल हैं। प्रदूषण मापक ऐप 'समीर' के अनुसार शनिवार को गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 466 दर्ज किया गया जबकि ग्रेटर नोएडा में 414, नोएडा में 461, फरीदाबाद में 449, दिल्ली में 437, बल्लभगढ़ में 431 और गुरुग्राम में 456 दर्ज किया गया। इसके अलावा बागपत में एक्यूआई 445, बहादुरगढ़ में 388, बुलंदशहर में 433, हापुड़ में 445 मेरठ में 438 एक्यूआई दर्ज किया गया।
बता दें कि, राजधानी में 1 जनवरी 2022 तक पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध के बावजूद साउथ दिल्ली के लाजपत नगर, उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी, पश्चिमी दिल्ली के पश्चिम विहार और पूर्वी दिल्ली के शाहदरा में शाम 7 बजे से पटाखे जलाए जाने के मामले सामने आए। वहीं, गुरुग्राम और फरीदाबाद में उच्च-तीव्रता के पटाखे जलाए गए। हरियाणा सरकार ने भी दिल्ली से सटे क्षेत्रों समेत 14 जिलों में पटाखे की बिक्री और इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया था। वायु प्रदूषण की स्तिथि काफी खराब होने की वजह से लोगों में दम फूलने, आंखों में जलन होने, दमा औऱ टीबी के मरीजों की हालत बिगड़ने जैसी शिकायतों सामने आई हैं। सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चों औऱ बुजुर्गों पर देखने को मिल रहा है।
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बढ़ते प्रदूषण को लेकर AIIMS के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने बड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि, प्रदूषण बढ़ने के साथ ही कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा सकती है। कोरोना के मामलों के साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदूषण का श्वसन स्वास्थ्य पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। खासकर उन लोगों में जिन्हें फेफड़ों की बीमारी और अस्थमा है। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि दिल्ली की हवा सिगरेट के धुएं से ज्यादा खतरनाक हो गई है।