बलात्कारियों के खिलाफ पाकिस्तान के संसद में जिस जोश के साथ एंटी रेप बिल पास किया गया, उतनी ही तेजी के साथ इसे खारिज भी कर दिया गया। हाल ही में पाकिस्तान की संसद में ऐसा ही एंटी रेप बिल पास किया गया था, जिसे बाद में इस्लाम और शरियत के खिलाफ हटा दिया गया था। पाकिस्तान की काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी (सीआईआई) ने ऐसी सजा पर आपत्ति जताते हुए इसे गैर-इस्लामिक करार दिया था। जिसके बाद कट्टरपंथियों के दबाव में इमरान सरकार ने अवाम की कड़े कानून बनाने की मांग को खारिज कर दिया।
ये कानून लिंग काटने का कानून नहीं बल्कि रेप के आदतन अपराधियों को केमिकल कैस्ट्रेशन दिए जाने का कानून था। आदतन अपराधी यानी वो लोग जो रेप के एक से ज्यादा मामलों में दोषी पाए गए हो। दरअसल, केमिकल कैस्ट्रेशन में दवाओं की मदद से किसी पुरुष के टेस्टेस में बनने वाले हार्मोन्स के प्रोडक्शन को कम किया जाता है… इसे हार्मोन थेरेपी भी कहते हैं। हार्मोन्स का प्रोडक्शन कम होने से पुरुषों में सेक्स ड्राइव कम हो जाती है।
हालांकि, केमिकल कैस्ट्रेशन होने का ये मतलब नहीं है कि व्यक्ति नपुंसक हो जाएगा और कभी भी सेक्शुअली एक्टिव नहीं हो पाएगा। दवाएं और उनका असर खत्म होने के बाद व्यक्ति की सेक्स ड्राइव वापस आ जाती है। भारत की बात करें तो रेप के खिलाफ भारत में भी सख्त कानून हैं। फांसी और उम्रकैद तक का प्रावधान है, ये बात और है कि लंबे वक्त से भारत में केमिकल कैस्ट्रेशन की सजा की मांग होती रही है।