आज नंदा सप्तमी है। हर साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नंदा सप्तमी मनाया जाता है। नंदा सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा करने का काफी महत्व है। नारद पुराण के मुताबिक, इस तिथि को कश्यप ऋषि के तेज और अदिति के गर्भ से मित्र नाम के सूर्य प्रकट हुए। जो असल में भगवान विष्णु की दाईं आंख की शक्ति ही थी। इसलिए इस तिथि में शास्त्रोक्त विधि से उनका पूजन करना चाहिए। उगते सूरज को जल चढ़ाने के साथ ही दिनभर व्रत रखकर ब्राह्मण भोजन करवाना चाहिए। ऐसा करने से बीमारियों से मुक्ति मिलती है। उम्र बढ़ती है और हर तरह के दोष भी खत्म हो जाते हैं।
नंदा सप्तमी शुभ मुहूर्त
नंदा सप्तमी के दिन अभिजित मुहूर्त दिन में 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक है।
इस दिन विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से दोपहर 02 बजकर 39 मिनट तक है। ये दोनों ही मुहूर्त कार्यों के लिए शुभ माने जाते हैं।
इस दिन राहुकाल दिन में 10 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 14 मिनट तक है। इस अवधि में पूजा न करें।
ऐसे करें नंदा सप्तमी पर पूजा
सप्तमी पर तांबे के लोटे में जल, चावल और लाल फूल डालकर उगते हुए सूरज को जल चढ़ाएं।
जल चढ़ाते वक्त ऊँ घृणि सूर्याय नम: मंत्र बोलते हुए शक्ति, बुद्धि और अच्छी सेहत की कामना करें।
जल चढ़ाने के बाद धूप और दीप से सूर्य देव की पूजा करें।
इस तिथि पर तांबे का बर्तन, पीले या लाल कपड़े, गेहूं, गुड़, माणिक्य, लाल चंदन का दान करें। इस दिन व्रत करें।
एक समय फलाहार कर सकते हैं लेकिन दिनभर नमक न खाएं।