इस वक्त दुनियाभर में फिर से कोरोना महामारी का खतरा बढ़ने लगा है। नए वेरिएंट ओमीक्रॉन के दहशत से दुनिया के कई देशों ने अपने यहां पर यात्रा प्रतिबंध के साथ ही पाबंदियां बढ़ा दी है। इस वायरस को लेकर फिलहाल रिसर्च जारी है और अब एक नई स्टडी ने दुनिया की घंटी बजा दी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ये नया वेरिएंट एंटीबॉडी से बच सकता है। इसके साथ ही दुनिया में डेल्टा वेरिएंट की तरह तेजी से फैल सकता है।
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इंग्लैंड के ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के जेनेटिक महामारी विज्ञान के प्रोफेसर निकोलस जॉन टिम्पसन और कम्परेटिव इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर मिक बेली के मुताबिक,अगर पूर्व में बनी प्रतिरक्षा पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करती है तो ओमीक्रॉन के प्रसार को धीमा करने के लिए टीकाकरण और बूस्टर खुराक के साथ एहतियाती उपाय स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर दबाव को रोक सकते हैं। लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो सामाजिक पाबंदियों को लगाना होगा क्योंकि ओमीक्रॉन लगभग पूरी दुनिया में फैल चुका है और आशंका है कि यह वायरस के डेल्टा वेरिएंट की जगह ले सकता है।
शुरुआति स्टडी में संकेत मिले हैं कि मौजूदा प्रतिरक्षा ओमीक्रॉन पर कम असरदार है। ये अध्ययन अभी प्रकाशित नहीं हई है औऱ स्वतंत्र रूप से अन्य वैज्ञानिकों द्वारा औपचारिक रूप से इशकी समीक्षा होने वाली है। इस बीच अनुसंधान में यह भी बताया गया है कि तीसरी बूस्टर खुराक देने से सुरक्षा मिल सकती है। इसलिए यह सकातरात्मक पहलु और हालांकि, पूरी दुनिया को इसे लेकर सावधानी बरतनी जरूरी है।
शुरुआती रिपोर्ट में सबसे तेजी से सुलभ डाटा पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो कि लोगों के खून में एंटीबॉडी की वो मात्रा है, जो वायरस के नए वेरिएंट को निष्क्रिय करने में सक्षम हैं। कुल मिलाकर, डाटा लगातार संकेत देता है कि ओमीक्रॉन कुछ हद तक एंटीबॉडी से बच सकता है। डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले कहीं, यह 10 से 20 गुना या 40 गुना तक अधिक है। इस तरह जिन लोगों ने वैक्सीन की दो खुराक ली थी और पूर्व में संक्रमित भी हुए थे, उनमें ओमीक्रॉन को बेअसर करने का स्तर अधिक था।