कोरोना को लेकर फिर से खतरा बढ़ता जा रहा है। भले ही अभी कोरोना के केस कम आ रहे हों, लेकिन जल्द ही फिर से ये देश में तबाही मचा सकता है। नेशनल कोविड-19 सुपरमॉडल कमिटी ने का आकलन है कि अगले साल की शुरुआत में ओमिक्रॉन की वजह से कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर आ सकती है। फरवरी में यह पीक पर होगा। विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि ओमीक्रॉन और डेल्टा मिलकर बड़ा खतरा बन सकते हैं।
अब, ओमीक्रॉन नाम के नए म्यूटेंट वेरिएंट के साथ यह जोखिम कई गुना बढ़ गया है, इसने वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को फिर से यह विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है कि वायरस का यह उभरता स्ट्रेन कितना घातक हो सकता है। हालांकि, अब विशेषज्ञों की राय है कि यदि कोई मरीज एक ही समय में SARS-CoV-2 वायरस के डेल्टा और ओमीक्रॉन दोनों रूपों से संक्रमित हो जाता है, तो यह एक तहर का ‘सुपर स्ट्रेन’ होगा और यह बेहद खतरनाक हो सकता है।
मॉडर्ना के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर पॉल बर्टन ने ब्रिटेन की संसद की विज्ञान और प्रौद्योगिकी समिति को बताया कि ओमीक्रॉन दुनिया भर में जितनी तेजी से फैल रहा है, इसे देखते हुए सुपर स्ट्रेन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने ब्रिटेन के सांसदों से कहा कि यह बहुत संभव है कि दोनों वेरिएंट्स जीन को स्वैप कर सकते हैं तथा एक और भी खतरनाक वेरिएंट बना सकते हैं। विशेषज्ञों की राय है कि इसकी संभावना कम है लेकिन ऐसा होने की संभावना बनी रहेगी।
वहीं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (IIT) हैदराबाद के प्रफेसर विद्यासागर ने कहा कि इस बात की संभावना कम है कि भारत में दूसरी लहर के मुकाबले अधिक दैनिक केस आएंगे। उन्होंने कहा, ''इस बात की बेहद कम संभावना है कि तीसरी लहर में दूसरी लहर से अधिक दैनिक केस आएंगे। याद रखिए कि भारत सरकार ने आम भारतीयों (फ्रंट लाइन वर्कर्स को छोड़कर) के टीकाकरण की शुरुआत 1 मई से की थी, जिस समय डेल्टा वेरिएंट आया ही था। इसलिए डेल्टा वेरिएंट ने उस आबादी पर हमला किया, जिसमें फ्रंटलाइन वर्कर्स को छोड़कर सभी वैक्सीन से वंचित थे।''
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