चीन अपनी हरकतें और बढ़ाता जा रहा है। सीमा पर अतिक्रमन की कोशिश करता है, वहीं पड़ोसी देशों पर भी नजर गड़ाए रखता है। अब चीन ने एक और नई चाल चल दी। चीन ने तिब्बती बच्चों को विशेष ट्रेनिंग के लिए कैंपों में शुरू किया है। इससे पहले चीन सेना में तिब्बत के युवकों की भर्ती कर रहा है। जिन बच्चों को चीन ले जा रहा है उनकी उम्र महज 8 से 9 साल है।
इन बच्चों को ट्रेनिंग कैप में मिलिट्री से संबंधित ट्रेनिंग दी जाएगी और सेना की बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इस मामले से परिचित लोगों ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की खुफिया रिपोर्टों और इंटरसेप्ट का हवाला देते हुए कहा कि इसके पीछे भी चीन की एक चाल है। लोगों ने कहा कि चीन तिब्बतियों के इन बच्चों को ट्रेनिंग में शामिल कर किसी तरह से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) और स्थानीय स्तर पर जारी गतिरोध पर काबू पाना चाहता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अपने परिवारों और समुदायों से निकले इन छात्रों को चीनी भाषा में पढ़ाया जाता है। इसके अलावा उनको अपने धर्म से दूर करने का प्रयास किया जाता है। लोगों ने कहा कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्टों से पता चलता है कि बच्चों को इसलिए विशेष कैंपों में भेजा जा रहा है ताकि उन्हें एक ऐसी शिक्षा दी जा सके जो तिब्बती बौद्ध मूल्यों की खिलाफ हो और उन्हें एक सैनिक बनने के लिए प्रोत्साहित करती हो।
इस महीने की शुरुआत में, तिब्बत एक्शन इंस्टीट्यूट ने एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि तिब्बत में चीनी अधिकारी वहां के बच्चों को माता-पिता से अलग करने और अपनी भाषा और संस्कृति सिखाने के लिए बोर्डिंग स्कूलों के एक नेटवर्क स्थापित किया है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि छह से 18 साल की उम्र के 900,000 और चार और पांच साल के तमाम छोटे तिब्बती बच्चे वहां के स्कूलों में पढ़ रहे हैं।
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