आज मकर संक्रांति का पर्व है। जब सूर्य एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तो इसे संक्रांति कहते हैं और जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है तो उसे मकर संक्रांति कहते हैं। तमिलनाडु में इसे पोंगल और गुजरात में उत्तरायण कहते हैं। मकर संक्रांति के दिन स्नान दान कर भगवान सूर्य देव की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कष्टों का निवारण होता है। इस दिन तिल का दान करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि इस दिन तांबे के लोटे से सूर्य भगवान को अर्घ्य देने से पद और सम्मान में वृद्धि होती है तथा शारीरिक और आध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है।
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त
इस बार मकर संक्रांति पर शुभ मुहूर्त दोपहर में आरंभ हो रहा है। इस बार मकर संक्राति पर सुबह 8 बजकर 5 मिनट के बाद से स्नान दान का मुहूर्त है, क्योंकि सूर्य दोपहर 2 बजकर 9 मिनट पर मकर राशि में आ रहे हैं।
मकर संक्रांति पुण्यकाल: 2 बजकर 12 मिनट से शाम 5 बजकर 45 मिनट तक
महापुण्य काल मुहूर्त: 2 बजकर 12 मिनट से 2 बजकर 36 मिनट तक
पौराणिक कथा-
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन श्रीहरि भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक से असुरों का संहार किया था, भगवान विष्णु की जीत को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि महाभारत काल से मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन प्राण निकलने से व्यक्ति का पुनर्जन्म होने के बजाए सीधे ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि भीष्म पितामह ने 58 दिनों तक बाणों की शैया पर रहने के बाद प्राण त्यागने के लिए सूर्य के उत्तरायण का इंतजार किया था।
मकर संक्रांति पर इन चीजों का करें दान
इस दिन तिल, गुड़, घी, खिचड़ी, कंबल और वस्त्र के दान की मान्यता है। कहा जाता है जो मकर संक्रांति के दिन इन चीजों का दान करते हैं उनपर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और उन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती है।
देव स्तुति, पित्तरों का स्मरण करके तिल, गुड़, गर्म वस्त्रों कंबल आदि का दान जनसाधारण, अक्षम या जरुरतमंदो या धर्मस्थान पर करें। माघ मास माहात्म्य सुनें या करें।
इस दिन खिचड़ी सेवन तथा इसके दान का विशेष महत्व है। इस दिन को खिचड़ी भी कहा जाता है।
इस दिन खिचड़ी के दान तथा भोजन को भी विशेष महत्व दिया गया है।
यह संक्रान्ति काल मौसम के परिवर्तन और इसके संक्रमण से भी बचने का हैं। इसी लिए तिल या तिल से बने पदार्थ खाने व बांटने से मानव शरीर में उर्जा का संचार होता है।
तिल मिश्रित जल से स्नान,तिल उबटन, तिल भोजन, तिल दान, गुड़ तिल के लडडू मानव शरीर को सर्दी से लड़ने की क्षमता देते हैं।
बिहार और बंगाल में लोग तिल दान करते हैं।
तमिलनाडु में इसे पोंगल के रुप में चार दिन मनाते हैं और मिट्टी की हांडी में खीर बनाकर सूर्य को अर्पित की जाती है। पुत्री तथा जंवाई का विशेष सत्कार किया जाता है।