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PM Modi की सुरक्षा में चूक का सबसे बड़ा दोषी कौन? देखें स्पेशल रिपोर्ट

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5 जनवरी 2022… ये वो दिन था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बारिश के बीच प्यारेआना गांव के एक फ्लाई ओवर पर 20 मिनट तक फंसे रहे थे। पाकिस्तानी सरहद से महज 20 किमी दूर पंजाब का फिरोजपुर में मोदी का काफिला रुक गया। इस काफिले में सिर्फ एक काले रंग की गाड़ी थी। इससे कोई भी आसानी से पीएम की गाड़ी की शिनाख्त कर सकता था। जब पीएम मोदी बठिंडा एयरपोर्ट पर लौटे तो उन्होंने अफसरों से कहा- 'चन्नी को शुक्रिया कहना, मैं एयरपोर्ट तक जिंदा लौट आया।'

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पीएम मोदी की सुरक्षा में हुई इस चूक का ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। 11 जनवरी को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 5 सदस्यों की इन्वेस्टिगेशन कमेटी बनाई। इसकी अगुआई रिटायर्ड जस्टिस इंदु मल्होत्रा कर रही हैं। उन्हें जल्द से जल्द जांच पूरा करने को कहा गया है। जाने-माने मीडिया संस्थान के रिपोर्ट की मानें तो 5 जनवरी 2022 की सुबह 9.30 बजे पीएम मोदी ने दिल्ली से उड़ान भरी। सुबह 10.25 बजे वे पंजाब के बठिंडा के भिसियाना एयरबेस पर लैंड हुए। यहां से उन्हें हेलिकॉप्टर के जरिए फिरोजपुर स्थित हुसैनीवाला शहीद मेमोरियल पहुंचना था।

बठिंडा एयरपोर्ट पर बारिश हो रही थी। यहां पीएम मोदी करीब 35 मिनट तक इंतजार करते रहे। 11 बजे तक बारिश नहीं रुकी तो प्रधानमंत्री को सड़क रूट से ले जाने का फैसला किया गया। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का कहना है कि पीएम मोदी के कार्यक्रम में हुसैनीवाला शहीद मेमोरियल जाने का प्लान नहीं था। ऐन वक्त पर यह प्लान जोड़ा गया। पीएम मोदी ने 5 जनवरी को ट्विटर पर पीआईबी का जो लिंक शेयर किया है, उसमें भी इसका जिक्र नहीं है। उस दिन के अखबारों में भी इसका जिक्र नहीं है। हालांकि, 4 जनवरी को पीएम के ओएसडी ने जो पीएम का टूर प्लान जारी किया है, उसमें हुसैनीवाला शहीद मेमोरियल जाने की बात लिखी है।

जिस प्यारेआना फ्लाई ओवर पर पीएम मोदी खड़े थे, सड़क मार्ग से उसकी पाकिस्तान बॉर्डर से दूरी 20 किमी है। पीएम को फिरोजपुर के प्यारेआना गांव के ओवरब्रिज पर रोकना भी बड़ी चूक है। अगर हाईवे ब्लॉक था तो पीएम के काफिले को तुरंत वापस मुड़ जाना चाहिए था। सिक्योरिटी एक्सपर्ट के मुताबिक, पीएम के काफिले को वापस मोड़ना बेहद आसान होता है। इसे ऐसे समझना चाहिए कि पीएम हमेशा काफिले के बीच में चलते हैं। अगर किसी वजह से अचानक वापस मुड़ना पड़ जाए तो सबसे पीछे वाला सिक्योरिटी व्हीकल सबसे पहले मुड़कर काफिले में पहले नंबर की गाड़ी बन जाता है। इसी तरह एक-एक कर सभी गाड़ियां मुड़ जाती हैं और जो सिक्योरिटी व्हीकल पहले सबसे आगे चल रहा होता है, वह सबसे पीछे हो जाता है।

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एसपीजी, केंद्र की दूसरी खुफिया एजेंसियों और पंजाब पुलिस को इस रूट पर पीएम को लेकर जाना ही नहीं चाहिए। रूट सैनिटाइज करने का जिम्मा पंजाब पुलिस का था और उसके अफसर एसपीजी को साफ इनकार कर सकते थे। उसके बाद भी एसपीजी या पीएम मोदी सड़क के रास्ते जाना चाहते तो पंजाब पुलिस इसे ऑन रिकॉर्ड लेकर आती। रिटायर्ड एडीजीपी ने पीएम के काफिले में ब्लैक कलर की सिर्फ एक गाड़ी होने पर भी सवाल उठाया। उनके अनुसार, पीएम मोदी के सिक्योरिटी प्रोटोकॉल के हिसाब से काफिले में एक ही तरह और रंग वाली कई गाड़ियां होनी चाहिए। अगर कोई नुकसान पहुंचाने की योजना भी बनाए तो उसे कन्फ्यूज किया जा सके।