मुलायम सिंह यादव के सियासी घराने की बहू अपर्णा यादव बीजेपी के रंग में रंग गई है। ऐसे में मुलायम के कुनबे में फूट साफ देखी जा सकती है, जो सियासी नुकसान का संकेत दे रही है। बीजेपी जानती है कि वोटों के लिहाज से अपर्णा के मायने भले न हों लेकिन इस दांव के जरिए बीजेपी को सपा और अखिलेश पर निशाना साधने के लिए एक अचूक हथियार जरूर मिल गया है। अपर्णा को साथ लेकर बीजेपी ने अपनी पार्टी से मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी सहित कई विधायकों के पाला बदलने का पलटवार किया है।
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स्वामी समेत 14 विधायकों के पाला बदलने के बाद से सियासी हलके में समाजवादी पार्टी द्वारा बाजी मार लेने की अवधारणा बनती जा रही थी। ऐसे में बीजेपी ने समाजवादी परिवार की छोटी बहू को अपनी पार्टी में शामिल कर सपा को करारा जवाब दिया। आपको बता दें कि मुलायम परिवार की छोटी बहू बनने से पहले अपर्णा यादव का नाम अपर्णा बिष्ट था। अपर्णा ने साल 2011 में मुलायम सिंह यादव के बेटे प्रतीक यादव से शादी की थी। अपर्णा अपने बयानों और सक्रियता से अक्सर चर्चाओं में रहती हैं। वह एक एनजीओ भी चलाती हैं जो गौसेवा के साथ ही आवारा जानवरों को लेकर भी काम करता है।
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अपर्णा राजनीतिक में सक्रिय रहती है। पिछला विधानसभा चुनाव उन्होंने लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट से सपा प्रत्याशी के रूप में लड़ा, हालांकि वह जीत नहीं पाई थीं। अपर्णा यादव ने साल 2014 के बाद से ही पीएम मोदी के फैसलों को लेकर उनकी तारीफ शुरू कर दी थी। ऐसा उन्होंने कई बार किया। फिर मुख्यमंत्री योगी की भी उन्होंने तारीफ की। वह लगातार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलती भी रही हैं। योगी उनकी गौशाला भी गए थे। उन्होंने सपा को सबसे ज्यादा असहज तब किया जब राममंदिर के चंदे को लेकर अखिलेश भाजपा को घेर रहे थे।
तब अपर्णा ने मंदिर के लिए 11 लाख रुपये चंदा दिया था। साथ ही कहा था कि परिवार के फैसलों के लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं। बीते एक सप्ताह से अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं हवा में तैरती रहीं। तब उनके भाजपा में जाने की खबरों को अटकलें बताया गया। शिवपाल यादव ने भी उन्हें सपा में ही रहने की नसीहत दी थी। अखिलेश यादव ने भी दो दिन पहले अपर्णा से जुड़े सवाल को परिवार का मामला कहते हुए खारिज कर दिया था।