दिल्ली पुलिस ने चाइनीज ऐप के जरिए करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। ये गिरोह दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में लोगों को चाइनीज ऐप के जरिये तुरंत लोन का लालच देते थे और इसकी एवज में करोड़ों रुपये की उगाही करते थे। पैसे नहीं देने पर ये फोन हैक कर कॉन्टेक्ट से जुड़े लोगों को पीड़ित की एडिट की गई न्यूड तस्वीरें भेजते थे। कई मामले सामने आने के बाद दिल्ली पुलिस ने चाइनीज लोन ऐप रैकेट के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की और देश भर में की गई छापेमारी कर एक महिला समेत आठ संदिग्ध लोगों को अरेस्ट किया है। इसमें से एक चीन में स्थित मास्टरमाइंड था।
इस तरह से ठगी को देते थे अंजाम
टारगेट लोन ऐप को अपने फोन में डाउलोड करता था, इंस्टॉल करते समय परमिशन देता था
लोन का 60 से 70% अमाउंट टारगेट के खाते में क्रेडिट कर देते थे
इस बीच कंपनी टारगेट के फोन में मालवेयर इंस्टॉल कर देते थे, फोन को हैक कर लिया जाता था, पर्सनल डेटा चुरा लेते थे
इसके बाद लोन वापस करने के लिए ब्लैकमेल और धमकी का दौर शुरू हो जाता था, अधिक ब्याज दर और अन्य चार्ज की मांग करते थे
गैंग के लोग टारगेट से गाली गलौज करते थे, लोन अमाउंट वापस करने के बाद भी यह जारी रहता था
तय राशि से अधिक मिलने पर ही यह उत्पीड़न रुक जाता था
पुलिस कार्रवाई में एक ही अकाउंट में उगाही के 8.25 करोड़ रुपये मिले हैं। इसके अलावा 25 और खातों की पहचान की गई। इसके अलावा पुलिस ने कैश, कई एसयूवी, लैपटॉप, दर्जनों डेबिट कार्ड और पासबुक जब्त किए हैं। जब्त किए गए गैजेट्स एनालिसिस के दौरान, यह पाया गया कि आरोपी महिलाओं की तस्वीरों को मॉर्फ कर रहे थे। इसके अलावा पीड़ितों के फोन कॉन्टेक्ट में जुड़े लोगों को जबरन वसूली के लिए पीड़ित की न्यूड तस्वीरें भेज रहे थे। पुलिस ने सिंडिकेट के भारत में मास्टरमाइंड कृष्ण उर्फ रविशंकर को जोधपुर से गिरफ्तार किया। पुलिस ने रविशंकर के साथ काम कर चुके एक चीनी नागरिक को भी हिरासत में लिया है।
उदाहरण के लिए अगर लोन की राशि 6,000 रुपये थी, तो उन्होंने सर्विस और अन्य चार्ज के रूप में लगभग 2,300 रुपये काट लिए। पीड़ित को केवल 3,700 रुपये मिले। हालांकि, पीड़ित को ब्याज के साथ 6,000 रुपये वापस करने की जरूरत थी, जो कभी-कभी हफ्तों के भीतर 30,000-40,000 रुपये तक पहुंच जाता था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि 'कैश एडवांस ऐप को एंड्रॉइड डिवाइस में प्रॉक्सी बनाकर चीन स्थित सर्वर से भी कनेक्ट किया गया था। मालिक ने गूगल प्ले स्टोर पर डेवलपर संगठन या कंपनी के बारे में वैध जानकारी नहीं दी। पुलिस इस मामले में अधिक पीड़ितों की पहचान कर रही है। साथ ही सिंडिकेट के अन्य सदस्यों का पता लगाया जा रहा है। आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां होने की संभावना है।