रूस और यूक्रेन जंग को लेकर अमेरिका दुनिया भर से कह रहा है कि कोई भी रूस की मदद न करे वरना अंजाम बुरा होगा। इसके साथ ही भारत को भी कई बार धमकी दे चुका है। एक ओर तो अमेरिका भारत संग अपने रिश्ते मजबूत करने की बात करता है लेकिन, जैसे ही मौका मिलता है वो छोड़ता नहीं है। हाल के दिनों में रूस के प्रति भारत के कदमों को लेकर अमेरिका की आंख गड़ने लगी थी। रूस से तेल खरीदने पर भी अमेरिका कई बार भारत को धमकी दिया। जिसपर भारत की ओर से मुंहतोड़ जवाब मिला था चुप्पी साध लिया। अब एक नया खुलासा हुआ है कि, मानवाधिकार पर भारत को अेमरिका रेड लिस्ट में डालना चाहता था। लेकिन, इसपर ज्ञान देना उसे उल्टा पड़ गया है। क्योंकि, बारत के विदेश मंत्री एस. जयसंकर ने इसका करारा जवाब दिया है।
अमेरिकी आयोग मानवाधिकारों के मसले पर भारत को रेड लिस्ट में रखना चाहता था। हालांकि इस पर सहमति नहीं बनी। ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक युनाइटेड स्टेट्स कमिशन ऑन रिलिजियस फ्रीडम ने बीते दो सालों में लगातार अमेरिकी विदेश मंत्रालय से सिफारिश की थी कि भारत को मानवाधिकार के मसले पर रेड लिस्ट में डाला जाए। हालांकि इसे अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से खारिज किया गया था। मानवाधिकार के मामले में रेड लिस्ट में चीन, पाकिस्तान और सऊदी अरब रहे हैं। लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। अब 25 अप्रैल को अमेरिकी आयोग फिर से ऐसी एक लिस्ट जारी करने वाला है। इससे पहले अमेरिकी सिविल राइट्स ग्रुप ने आयोग को पत्र लिखा है, जिसमें भारत को रेड लिस्ट में रखने की मांग की गई है।
राइट्स ग्रुप ने अपने लेटर में लिखा, 'यह स्पष्ट है कि भारत की सच्चाई पर पर्दा डालने की कोशिश करने वाले लोग एक बार फिर से लॉबिंग करने लगे हैं। उनका लक्ष्य़ है कि अमेरिकी आयोग भारत को लगातार तीसरी बार 'कंट्री ऑफ पार्टिकुलर कंसर्न' की कैटिगरी में रखने से रोका जाए।' ग्रुप ने कहा कि हमें यह भी जानकारी मिली है कि आयोग के सदस्यों को प्रभावित किया जा रहा है ताकि पीएम नरेंद्र मोदी का नाम रिपोर्ट में शामिल न किया जाए। बता दें कि बुधवार को भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने वॉशिंगटन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री की राय पर जोरदार पलटवार किया था।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका पर जोरदार पलटवार करते हुए कहा कि, भारत के बारे में राय रखने के लिए कोई भी स्वतंत्र है, लेकिन यह ध्यान होना चाहिए कि भारत को भी अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है। अमेरिका में मानवाधिकार के मामलों में हमारी भी नजर है और खासतौर पर भारतीय समुदायों के हितों को लेकर हम चिंतित है। यह पहला मौका था, जब भारत को अकसर नसीहत देने वाले अमेरिका को इस तरह से जवाब मिला है।