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Ukraine-Russia डोनबास पर रूस ने कर ही लिया कब्जा! यूक्रेन को 100 बिलियन डॉलर का नुकसान

डोनबास पर रूस ने कर ही लिया कब्जा!

Ukraine-Russia जंग 57वें दिन रूस ने डोनबास पर पूरी तरह कब्जा कर लिया है। पूर्वी यूक्रेन के इस कथित हिस्से को आजाद कराने के लिए शुरू हुई इस लड़ाई में भयावह तबाही हुई है। रूस ने दबाव बनाने के लिए कीव पर काफी दिनों तक घेरा डाल कर रखा था, मगर कीव को उसी के हाल पर छोड़कर एक बार फिर पूर्वी यूक्रेन पर जंग को केंद्रित किया और डोनबास पर कब्जा कर लिया।   

एक टीवी चैनल के मुताबिक लुहान्सक के गवर्नर ने कबूल किया है कि रूसी सेना का लगभग 80 फीसदी क्षेत्र पर कब्जा हो चुका है। व्लादिमीर पुतिन का मकसद डेनबास तक रूसी क्षेत्र का विस्तार करना और इलाके की सत्ता मॉस्को-समर्थित विद्रोहियों के हाथों में सौंप देना है। डोनबास पर पहले भी रूस समर्थित अलगाववादियों का कब्जा था। 24 फरवरी से पहले करीब 60 फीसदी क्षेत्र यूक्रेनी सरकार के नियंत्रण में था।

गवर्नर सेरही हैदै ने कहा कि रूसी सैनिकों में लुहान्स्क क्षेत्र में अपने हमलों को बढ़ाया है। हाल ही में रूस ने पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन में नए सिरे से हमले की तैयारी शुरू कर दी है। हैदै ने कहा कि क्रेमिना पर कब्जे के बाद रूसी अब रुबिज़न और पोपसना शहरों की तरफ बढ़ रहे हैं। गवर्नर ने सभी नागरिकों से तत्काल शहर छोड़ देने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के मुताबिक अब तक 50 लाख से अधिक लोग यूक्रेन छोड़कर भाग चुके हैं।

रूस ने कहा है कि उसने अपनी नई सरमत इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है। दूसरी ओर अमेरिका का कहना है कि वह भेजी गई हथियारों की नई खेप का इस्तेमाल करने के लिए यूक्रेनी सैनिकों को ट्रेनिंग दे रहा है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने देश में मार्शल लॉ को आगे बढ़ाने के लिए संसद में एक विधेयक पेश किया है। द कीव इंडिपेंडेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर संसद मंगलवार को प्रस्तुत विधेयक को पारित कर देती है, तो मार्शल लॉ को दो महीने के लिए 24 जून तक बढ़ा दिया जाएगा।

ध्यान रहे, जब-जब रूस का दबाव बढ़ता है तब-तब जेलेंसकी टीवी पर आते हैं और रोते हैं शांति समझौते की बात करते हैं, मगर जैसे ही अमेरिका और पश्चिमी देशों से मदद मिल जाती है तो वो फिर अपनी जमीन न छोड़ने और पुतिन को मुंह तोड़ जवाब देने की धमकियां देते हैं। एक बार हालात यह बन रहे हैं कि जेलेंसकी दुनिया के सामने गिड़गिड़ाते नजर आ रहे हैं। अमेरिका और नाटो के हाथ की कठपुतली बने जेलेंसकी ने यूक्रेन को अपने ही हाथों बर्बाद कर दिया है। यह बात अलग है कि रूस को भारी आर्थिक और सैन्य क्षति हुई है, लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने बीच का रास्ता अपनाया होता और कई साल से आजादी की मांग कर रहे डोनबास को पुतिन हवाले कर दिया होता तो वो नुकसान कम होता बजाए इस नुकसान के जिसकी भरपाई करने में दसियों साल खरबों रुपये खर्च होंगे।