चीन इस वक्त पाकिस्तान में चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर (CPEC) प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार में आई भूचाल के चलते इस प्रोजेक्ट पर काफी गहरा असर पड़ा था। जिसके बाद इसपर काम काफी धीरे चलने लगा। चीन को यह कतई बर्दाश्त नहीं था, वह जल्द से जल्द इस काम को खत्म करना चाहता है। लेकिन, पाकिस्तान में उसे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उधर बलूचिस्तान में चीनी इंजीनियरों पर हमले और ग्वादर में लोकल नागरिकों द्वारा अपने हक को लेकर हो रहे प्रोजेस्ट के चलते चीन को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ इस प्रोजेक्ट में तेजी लाने के लिए काफी उतावले दिख रहे हैं।
पीएम पद की शपथ के दौरान अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि वह चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर (CPEC) में नई जान फूंकने को तैयार हैं। जब पकिस्तान और चीन ने CPEC पर साइन किया था तो उस वक्त झाओ लिजियन पाकिस्तान में थे। वह इस्लामाबाद में चीनी दूतावास में मिशन के उप प्रमुख थे और झाओ अब चीनी विदेश मंत्रालय के तेज-तर्रार प्रवक्ता हैं। ये वो वक्त था जब शाहबाज शरीफ पाकिस्तानी पंजाब के सीएम थे। झाओ और शरीफ 2018 तक तीन सालों में दर्जनों बैठक में भाग ले चुके हैं। CPEC को लेकर शाहबाज शरीफ के बयान पर झाओ ने कहा कि हमने उनकी टिप्पणियों को नोट किया और हम उनकी बहुत सराहना करते हैं।
शाहबाज के भाई नवाज शरीफ ने भी उस दौरान वादा किया कि, वो बिजली की दिक्कतों को खत्म कर देंगे। जिसके बाद CPEC ने पाकिस्तान में बिजली की कमी को खत्म भी किया था। तीन सालों में इस प्रोजेक्ट के तहत 10,400 मेगावाट बिजली का विस्तार किया गया। पाकिस्तान चीन सेंटर इस्लामाबाद के कार्यकारी निदेशक मुस्तफा हैदर सैयद का मानना है कि शाहबाज ने CPEC को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका कहना है कि, पंजाब में शाहबाज के कारण ही CPEC प्रोजेक्ट्स तय वक्त से पहले तैयार हो रहे थे। लेकिन नवाज के पीएम पद से हटने के बाद राजनीतिक अस्थिरता के कारण CPEC प्रोजेक्ट्स की स्पीड कम हो गई। इमरान खान सत्ता में आए तो उन्होंने शाहबाज शरीफ पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। कहा कि पंजाब में CPEC प्रोजेक्ट्स पर काम करने वाले संस्थाओं से रिश्वत लिया। बीजिंग के लिए इस तरह के हालात असहज करने वाले थे। बीजिंग और रावलपिंडी के दबाव के बावजूद इमरान खान CPEC पर बहुत ध्यान नहीं दिया।
प्रोजेक्ट्स इतना धीमे गती से आगे बढ़ने लगा कि, अधिकतर प्रोजेक्ट्स तय वक्त से काफी पीछे चले घए। जिसके बाद चीन पाकिस्तान से काफी नाराज भी हुआ था और कही बार लताड़ भी लगाया। हालात को बिगड़ते देख पाकिस्तान और चीन ने इस CPEC की संयुक्त समन्वय समिति की बैठक बुलाई। जिसके बाद जुलाई में दासु के पात आत्मघाती हमले में नौ चीनी नागरिकों की जान चली गई। इसके बाद चीन पाकिस्तान पर काफी गुस्सा हो गया। अब इस प्रोजेक्ट्स के दूसरे चरण की शुरुआत के बीच शाहबाज शरीफ पीएम बने हैं और वो वापस से इसमें काफी तेजी लाने के लिए आतुर हो रहे हैं। शाहबाज के आने से चीन की उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं और वो इस काम को तेजी से आगे बढ़ाएगा।