चीन की असलियत यह है कि वह अंदर से पूरी तरह से टूट चुका है। दुनिया से ड्रैगन अपनी कमजोरी छुपा रहा है। इस वक्त चीन की इकोनॉमी कहा जाने वाला शहर शंघाई में कोरोना ने बूरी तरह से अफरा-तफरी मचा दी है। यहां पर हालात बेकाबू हो गए हैं। जिसके चलते चीन ने सख्त लॉकडाउन लगा रखा था। ये लॉकडाउन इतना सख्त था कि लोग अपने घरों में कई दिनों से जेल की तरह कैद थे। मामला यहां तक पहुंच गया कि, लोग भूख प्यास से दम तोड़ने लगे और अंत में जब मामला खबरों में पहुंचा और विश्व भर में चीन की निंदा हुई तब जाकर ड्रैगन ने कोरोना नियमों में ढील देनी शुरू की। वहीं, अब चीन सरकार ने अपने ही राष्ट्रगान को बैन कर दिया।
चीन में देश के राष्ट्रगान की एक पंक्ति का प्रयोग चीनी सरकार को इतना नागवार गुजरा कि उस पंक्ति को ही इंटरनेट पर बैन कर दिया। दरअसल चीन में जारी सख्त लॉकडाउन ने वहां के निवासियों के जनजीवन को अस्त व्यस्त कर दिया है। यही कारण है कि अब वहां लोग सरकार की जीरो कोविड पॉलिसी का व्यापक स्तर पर विरोध कर रहे हैं। स्थानीय लोग चीनी राष्ट्रगान 'मार्च ऑफ द वॉलंटियर्स' की एक पंक्ति 'उठो, जो लोग गुलाम नहीं बनना चाहते हैं' का उपयोग रचनात्मक तरीकों से अपनी आवाज उठाने के लिए कर रहे हैं। पुलिस की नजरों से बचते हुए लोग शंघाई की दीवारों पर यह पंक्तियां लिख दे रहे हैं। कहीं-कहीं पोस्टर भी दिख रहे हैं। बढ़ते विरोध को देखते हुए सरकार ने इस पंक्ति को इंटरनेट पर सेंसर कर दिया है।
लोग अपनी आवाजों को उठाते हुए पंक्ति को हैशटैक बनाकर सोशल मीडिया पर तस्वीरें और वीडियो पोस्ट कर रहे हैं। इसके जरिए उन लोगों के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है जो या तो कोविड के कारण मर गए या फिर सख्त लॉउनडान में उचित देखभाल न हो पाने के चलते मर गए। चीनी सोशल मीडिया प्लेटफार्म वीचैट और वीबो इस तरह की पोस्ट को हटा दिया है। दुनिया को केवल वह वीडियो देखने को मिल रहे हैं, जो ट्विटर और अन्य अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया गया है।