ये वो पाकिस्तान है जो कश्मीर पर बिना वजह दुनिया भर में गला फाड़ते रहता है और हर जगह से इसे मुंह की खानी पड़ती है। लेकिन, यही पाकिस्तान Pok और बलूचिस्तान के लोगों का जीना हराम कर रखा है। कश्मीर में आतंक का सफाया हो गया है और इस वक्त युवाओँ के हाथों में बंदूक नहीं कलम किताब है। पूरी तरह से घाटी बदल गई है और यहां लगातार विकास तेजी से हो रहा है। पाकिस्तान को इसी का डर है कि लोग पढ़ लिख लेंगे तो वो आतंक कैसे फैलाएगा। जब बात बलूचिस्तान की आती है तो पाकिस्तान के कलेजे पर सांप लेट जाता है। जब बात बलूचों के हक की आती है तो पाकिस्तान इधर-उधर भागने लगता है। लेकिन, ये बलूचिस्तानी अब अपनी हक की लड़ाई के लिए रुकने वाले नहीं हैं।
बलूचिस्तान को तो पाकिस्तान ने हर एक मूल चीजों से दूर रखा है। ना उनके लिए शिक्षा का कोई प्रबंध है और ना ही इलाज के लिए कोई अच्छा अस्पताल है। यहां तक की नौकरी तक के लाले पड़े हैं। अब तो चीन भी यहां पैर पसारने लगा है जिसके बाद चीनी नागरिकों पर हमले अब तेज हो गए हैं। बलूच अलगाववादी चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के काम को रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि चीन उनके संसाधनों को लूटने में पाकिस्तान के सुरक्षाबलों का सहयोग कर रहा है। इस्लामाबाद स्थित एक स्वतंत्र थिंक टैंक फाटा रिसर्च सेंटर (FRC) के कार्यकारी निदेशक मंसूर खान महसूद ने बताया कि बलूच अलगाववादी चीनियों को अपना दुश्मन मानते हैं।
उनका मानना है कि, चीन बलूचिस्तान संसाधनों को लूटने के लिए पाकिस्तान सुरक्षाबलों के साथ मिला है और इसी गतिविधि को रोकने के लिए बलूच अलगाववादी लगातार चीनियों को निशाना बना रहे हैं। महसूद ने कहा कि, यही वजह है कि उन्होंने चीनी कंपनियों को बलूचिस्तान छोड़ने के लिए कई बार चेतावनी दी है। अब वे मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचने के उद्देश्य से आत्मघाती हमलों को अंजाम देने के लिए महिलाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं।
बलूच विद्रोही अपनी गतिविधियों से बाहरी दुनिया को यह बताना चाहते है कि वे अपनी मातृभूमि को पाकिस्तान से आजाद कराना चाहते हैं। वहीं एक खबर की माने तो चीन ने मौजूदा स्थिति को देखते हुए उन क्षेत्रों में आतंकवादी गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाने के लिए कहा है।