जब रात के अंधेरे में आसमान में देखेंगे तो वह चमकते हुए दिखाई देंगे। आसमान में जुगनू की तरह चमकने वाले ये सितारे होते हैं। अगर हर सितारे को ध्यान से देखा जाये तो यह सभी अलग-अलग रंग होते हैं। नासा के हबल टेलीस्कोप ने तारों की एक ऐसी ही तस्वीर खींची है जो किसी मखमली चादर पर रखे अलग-अलग रंगों के रत्नों की तरह दिख रहे हैं। लेकिन ये तस्वीर हैरान करने वाली है, क्योंकि इनमें से कई सितारे अंतरिक्ष में होने के बावजूद भी इंसानों को दिखाई नहीं देते हैं।
हल्के नारंगी और लाल रंग के दिख रहे सितारे क्लस्टर का केंद्र हैं। वहीं कई सितारे नीले रंग के दिख रहे हैं, जो इंसानी आंख को नहीं दिखते। हबल के वाइड फील्ड कैमरा-3 (WFC3) के पास ये क्षमता है कि वह उस प्रकाश की वेवलेंथ को भी देख ले जिसे इंसान देख नहीं पाते। नासा की ओर से कहा गया कि धरती से 30हजार प्रकाश वर्ष दूर लिलर-1है जो हमारी आकाशगंगा के बीच स्थित एक घना इलाका है जो धूल और गैस से भरा हुआ है।
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धूल की वजह से नहीं दिखते सितारे
अंतरिक्ष में मौजूद ये धूल वाले बादल पूरे क्षेत्र में प्रकाश को बिखेर देते हैं, जिसके कारण लिलर-1को देखना मुश्किल हो जाता है। बिना हबल टेलीस्कोप की खास क्षमताओं के इसे नहीं देखा जा सकता। इस तरह के धूल के बादल नीली रोशनी को खत्म करने में अच्छे होते हैं। हबल का वाइड फील्ड कैमरा-3दिखने वाले प्रकाश और इन्फ्रारेड प्रकाश को भी देख सकता है। इसका कैमरा धूल से भरे हुए ब्रह्मांड के बीच में देख सकता है और लिलर-1में मौजूद चमकदार सितारों को अधिक विस्तार के साथ देख सकता है।
नए और पुराने सितारे देखने को मिले
लिलर-1 में कुछ अद्वितीय गुण है। इसमें बेहद युवा और पुराने सितारों का मिश्रण भी शामिल है। जबकि अन्य गोलाकार क्लस्टर में सिर्फ पुराने सितारे ही दिखते हैं। लिलर-1 में कई तारों की उम्र 12 अरब वर्ष से भी ज्यादा है। वहीं कई तारे सिर्फ 1 अरब साल पुराने ही हैं। खगोलविद मानते हैं कि सितारों के लिए ये बेहद दुर्लभ और उपजाऊ तारकीय प्रणाली है। यहां नए सितारे लगातार बन रहे हैं।