आज चीन से एक या दो देश नहीं बल्कि कई सारे देश परेशान हैं। चीन खुद इस्लाम और मुसलमानों की तौहीन करता है। शिन्जियांग में मुसलमानों को दाढ़ी रखने, नमाज पढ़ने और रोजा रखने पर पाबंदी लगा रखी है। पैगंबर के कथित विवाद पर भारत को नसीहत देने वाले निर्लज्ज चीन को उईगर मुसलमानों का टार्चर करते समय जरा भी शर्म नहीं आती। उईगरों की नस्लकुशी करने के लिए चीन मर्दो को इंजेक्शन देकर नपुसंक बना रहा है और शादीसुदा ही नहीं कुंवारी लड़कियों गर्भाश्य निकाल रहा है।
ये सारे खुलासे चीन से भागे एक उईगर ने किए हैं। इस उइगर मुसलमान ने आईसीसी अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) से एक बार फिर अपील की है कि वह उइगर और अन्य मुस्लिम समूहों के प्रति चीन के व्यवहार की जांच शुरू कराए। आईसीसी के वकीलों ने भी न्यायालय से कहा कि चीन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। वकीलों ने चीन से भाग कर आए इस उइगर के सबूतों को प्रोसीक्यूटर के सामने दस्तवेज की शक्ल में पेश किया है।
इस मामले में चीन के खिलाफ वैश्विक अदालत से जांच कराने की दिशा में प्रयास तेज कर दिए गए हैं। अदालत में साक्ष्य प्रस्तुत करने वाले समूह ने कहा कि इसमें एक गवाह की गवाही शामिल है, जो 2018 में चीन के एक डिटेंशन कैंप से किसी तरह भाग कर यहां पहुंचा था। डिटेंशन कैंप से निकल कर भागे इस उइगर गवाह ने आरोप लगाया कि, चीन में उसे और अन्य को प्रताड़ित किया जाता था नामर्दी के इंजेक्शन' सहित अन्य चिकित्सा प्रक्रियाओं से गुजरने के लिए मजबूर किया गया। इस उइगर मुसलमान ने जो दस्तावेज मुहैया करवाए हैं वो चीन के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए पर्याप्त है। हालांकि चीन आईसीसी का मेंबर नहीं है लेकिन आईसीसी चीन के खिलाफ इन सबूतों और दस्ताबेजों के आधार पर कार्यवाही शुरू कर सकता है।