हिंदू धर्म में सप्ताह का हर एक दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित होता है।ऐसे में सोमवार का दिन कल्याण के देवता माने जाने वाले भगवान शिव की साधना के लिए खास माना गया है। इस दिन का महत्व तब और भी ज्यादा बढ़ जाता है जब यह श्रावण मास में पड़ता है। मान्यता है कि श्रावण मास में पड़ने वाले सोमवार के दिन जप-तप और व्रत करने से साधक की सभी कामनाएं शीघ्र ही पूरी होती है क्योंकि श्रावण को भगवान शिव का प्रिय मास माना जाता है। सावन में पड़ने वाले व्रत को महिला और पुरुष भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए करते हैं। आइए आज सावन के पहले सोमवार के दिन इस व्रत की विधि, धार्मिक महत्व और लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं।
सावन सोमवार का व्रत कैसे रखें
-सावन सोमवार का व्रत रखने के लिए प्रात:काल उठने के बाद स्नान-ध्यान करें।
-अब धुले हुए वस्त्र पहन कर भगवान शिव का ध्यान करें। ध्यान रहे कि भगवान शिव की पूजा कभी काले वस्त्र पहनकर न करें।
-भगवान शिव का ध्यान करने के बाद सावन के सोमवार व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प करें।
– भगवान शिव को दूध और गंगाजल से स्नान कराएं और उसके बाद भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय चीजें जैसे सफेद चंद्रन, भस्म रुद्राक्ष, बेलपत्र, शमीपत्र, भांग, धतूरा, बेल का फल, अक्षत आदि चढ़ाएं. इसके बाद भगवान शिव के मंत्र ॐ नम: शिवाय मंत्र का कम से कम एक माला जप अवश्य करें। महादेव की पूजा के बाद जो भी प्रसाद चढ़ाएं उसे अधिक से अधिक लोगों को बांटें।
शिव पूजा का महाउपाय…
आज श्रावण मास के सोमवार के दिन भगवान शिव को आक का पुष्प चढ़ाने पर वे शीघ्र ही प्रसन्न होकर मनचाहा वर प्रदान करते हैं। मान्यता है कि श्रावण सोमवार के दिन आक के वृक्ष की जड़ को शिव के मंत्रों से अभिमंत्रित करके किसी व्यक्ति को पहना दिया जाए तो वह हमेशा बुरी नजर से बचा रहता है।
सावन सोमवार व्रत का फल…
सनातन परंपरा में सावन के सोमवार का व्रत भगवान शिव के आशीर्वाद और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए रख जाता है। भगवान शिव के इस पावन व्रत के दिन उनकी पूजा, रुद्राभिषेक, जप-तप आदि करने से साधक के सभी कष्ट दूर होते हैं और उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। भगवान शिव के इस व्रत से साधक की आयु बढ़ती है और उसे जीवन में किस भी प्रकार के शत्रु का भय नहीं रहता है, उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है। श्रावण मास में रखे जाने वाले सोमवार का व्रत करने से व्यक्ति को संतान सुख और मनचाहा वर प्राप्त होता है।