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Kargil Vijay Diwas: आखिर हर साल 26 जुलाई को क्यों मनाते हैं विजय दिवस? जानें इसके पीछे का इतिहास

26 जुलाई को करगिल विजय दिवस

देश में हर साल 26 जुलाई यानी आज के दिन कारगिल विजय दिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यही वो दिन है जब कारगिल में भारत और पाकिस्तान के बीच लगभग 60दिनों तक चले युद्ध का अंत हुआ था। खास बात भारत ने इस युद्ध में विजय प्राप्त की थी। मालूम हो, साल 1999में पाकिस्तानी घुसपैठिये आतंकी और सैनिक चोरी-छिपे कारगिल की पहाड़ियों में घुस आए थे। ऐसे में तब इनके खिलाफ भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू किया और घुसपैठियों को या मौत के घाट उतार दिया या भागने पर मजबूर कर दिया।

बता दें, 26जुलाई ही वो खास दिन था जब सेना ने अपने पराक्रम के दम पर कारगिल की पहाड़ियों को घुसपैठियों के चंगुल से पूरी तरह मुक्त करा लिया और तभी से इस दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। कारगिल युद्व में हालांकि 500से ज्यादा भारतीय जवान शहीद भी हुए थे। हर साल कारगिल विजय दिवस के मौके पर देश में कई कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है।

 युद्ध को बीत चुकें हैं इतने साल

कारगिल युद्ध को हुए 23साल हो चुके हैं। इस साल हम ‘विजय दिवस’ की 23वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। आज भी कारगिल में देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले वीर योद्धाओं की कुछ बातें रोम-रोम में देशभक्ति की लौ को प्रज्जवलित कर देती हैं। कारगिल विजय दिवस के अवसर पर उन वीर योद्धाओं के साहस और बलिदान को याद किया जाता है।

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दरअसल सर्दियों की शुरुआत में सैनिक ऊंची चोटियों पर अपनी पोस्ट छोड़कर निचले इलाकों में आ जाते थे। पाकिस्तान और भारतीय दोनों सेनाएं ऐसा करती थीं। सर्दियों में जब भारतीय सेना चोटियों से नीची उतरी तो पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों ने चुपके से घुसपैठ करके प्रमुख चोटियों को अपने कब्जे में ले लिया। पाकिस्तानी सैनिक और आतंकवादी अब ऐसी प्रमुख चोटियों पर तैनात थे, जहां से वह भारतीय सेना को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते थे भारतीय सेना को इस घुसपैठ की जानकारी चरवाहों से मिली। चरवाहों ने पाकिस्तानी सैनिकों और घुसपैठियों को वहां देख लिया था। इसके बाद भारतीय सेना ने घुसपैठियों से अपनी जमीन को खाली कराने के लिए ‘ऑपरेश विजय’ चलाया।