भारत इन दिनों अपनी सुरक्षा को लेकर काफी सतर्क है। इसके पीछे कारण चीन और पाकिस्तान की घटिया हरकतें हैं। एक और से चीन भारत की सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश करता है तो दूसरी ओर पाकिस्तानी आतंकी सीमा में घुसने की कोशिश करते हैं। ऐसे में अब भारत ने ड्रैगन के साथ ही पाकिस्तान की भी हरकतों पर पैनी नजर रखने का बंदोबस्त कर दिया है। जिसके चलते इनकी हर एक चाल पर नजर होगी। दरअसल, भारतीय सेना ने हाल ही में देश की उत्तरी और पश्चिमी सीमा पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम (AI- Based) पर आधारित स्मार्ट मॉनिटरिंग सिस्टम को लगाया है। इससे पाकिस्तान के साथ ही चीन से सटी सीमा पर सैनिकों की आवाजाही, नए निर्माण और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े चीजों पर निगरानी अधिक सटीक तरीके से हो सकेगी।
सिक्योरिटी एस्टेबलिश्मेंट की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार पिछले कुछ सालों में उत्तरी और पश्चिमी बॉर्डर पर पहले से ही एआई आधारित 145 ऐसे मॉनिटरिंग असेट्स लगाए जा चुके हैं। इनके जरिये सैटेलाइन इमेजरी से फीड, ड्रोन, राडार, थर्मल कैमरा, इलेक्ट्रो ऑप्टिकल डिवाइसेज, मोशन डिटेक्टर और ऐसे ही कई तरह की उपकरण शामिल हैं। जिसके चलते सेना को कंट्रोल रूम में रियल टाइन इनपुट मिलते रहते हैं। इसे एनालिसिस कर कमांडर्स के पास भेजा जाएगा जिससे फ्रंटलाइन पर युद्धक्षेत्र में पारदर्शिता के साथ ही जरूरी फैसले तुरंत लिए जा सकेंगे।
चेहरे की भी होगी पहचान
भारत-चीन के साथ 3488 किलोमीटर लंबा सीमा साझा करता है। ऐसे में एलएसी पर हर जगह सैनिकों की तैनाती संभव नहीं है। जिसके लिए स्मार्ट सर्विलांस सिस्टम बेहतर विकल्प माना जाता है। अरुणाचल प्रदेश में तवांग, जिसे चीन साउथ तिब्बत कहता है भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। सेना को यहां अधिक सैनिकों और भारी हथियार सिस्टम की तैनाती की जरूरत पड़ती है। ऐसे में यहां पर स्मार्ट सर्विलांस सिस्टम और कम्युनिकेशन हब से सेना को काफी मदद मिलेगी। बॉर्डर से सटे इनपुट के आधार पर सेना पीएलएल की गतिविधियों पर निगरानी रख सकेगी। इसके साथ ही इस AI में ऐसा सॉफ्टवेयर है जो चेहरे तक की पहचान कर सकेगा। यह सॉफ्टवेयर एलएसी पर तैनात पीएलए के अधिकारियों के चेहरों की पहचान कर सकता है।
इसके साथ ही उत्तरी और दक्षिणी बॉर्डर पर भारतीय सेना ने 8 स्थानों पर AI आधारित संदिग्ध वाहनों की आवाजाही का पता लगाने वाला सिस्टम लगाया है। साथ ही एक रियल टाइम मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर भी इंस्टॉल किया गया है जो जम्मू-कश्मीर में आतंक रोधी अभियान में मददगार होगा। बताया जा रहा है कि, सेना ने अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ ही मशीन बेस्ड तकनीक का भी प्रयोग शुरू कर दिया है। एआई और एमएल आधारित तकनीक से भारतीय सेना को सैन्य अभियानों में रणनीति बनाने में काफी मदद मिलेगी।
बता दें कि, भारतीय सेना और डिफेंस रिसर्च डेवलेपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) मिलकर AI आधारित भविष्य के प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। साथ ही प्रोडक्ट्स की टेस्टिंग भी की गई है। AI वाले इन प्रोडक्ट्स में ड्रोन, रेल माउंटेड सेनट्री रोबोट्स, स्वार्म ड्रोंस के अलावा ऐसे वीयरेबल गैजेट्स शामिल हैं जो मंदारिन से इंग्लिश में ट्रांसलेट कर सकते हैं। पोर्टेबल ट्रांसलेशन डिवाइस से रियल टाइम सूचना बिना किसी कनेक्टिविटी इश्यूज के मिल सकेंगी। ट्रांसलेट के अंतर का समय सिर्फ तीन से चार सेकंड का होगा। इसके साथ ही थेल सेना अग्रिम मोर्चे के सैनिकों की संचार व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए 5जी सेवा का इस्तामाल करने की योजना बना रही है।