चीन के चलते इस वक्त दुनिया के कई छोड़े-बड़े देश परेशान हैं। खासकर जो चीन से अपनी सीमा साझा करते हैं वो कुछ ज्यादे ही परेशान हैं। ताइवान के तो चीन हाथ धोकर पीछे पड़ गया है। इस वक्त चीन पूरी तरह से ताइवान को हथियाने के लिए सैन्यभ्यास कर रहा है और लगातार धमकी दे रही है। यहां तक की ताइवान के समुद्री और जमीनी क्षेत्रों में भी घुसपैठ कर चुका है। ऐसे में अमेरिका ने ताइवान को बचाने की कसम खाई है। अमेरिका का कहना है कि वो हर हाल में ताइवान की रक्षा करेगा। ऐसे में चीन को घेरने के लिए अमेरिका को सबसे ज्यादा अगर किसी के मदद की जरूरत है तो वो है भारत। अमेरिका ने भारत के साथ मिलकर जो फैसला लिया है उससे ड्रैगन को करारी मिर्ची लगने वाली है।
ताइवान और चीन तनाव के बीच भारत और अमेरिका ने इस साल अक्टूबर में चीन की सीमा से लगे उत्तराखंड में एक युद्ध अभ्यास करने का फैसला लिया है। ये सैन्य अभ्यास 18 से 31 अक्टूबर तक उत्तराखंड के औली में 10,000 फीट की ऊंचाई पर होगा और ऊंचाई वाली युद्ध ट्रेनिंग पर ध्यान केंद्रित करेगा। एक रिपोर्ट के अनुसार, सालाना संयुक्त अभ्यास नहीं है, लेकिन इसकी टाइमिंग और जगह बेहद दिलचस्प है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पिछले कई दिनों से ताइवान के आसपास बीजिंग अभूतपूर्व सैन्य अभ्यास कर रहा है और उसे ध्यान में रखते हुए इस साल भारत और अमेरिका के इस युद्ध अभ्यास के कई मायने हैं। अमेरिकी सेना पेसिफिक के मेजर जोनाथन लुईस ने कहा है कि, इस साल के अभ्यास की रणनीति ठंड के मौसम के संचालन पर केंद्रित है और ज्यादा ऊंचाई और ऐसे वातावरण में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
भारत और चीन के बीच विवादित सीमा वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से लगभग 95 किमी दूर है। पिछला अभ्यास पिछले साल अक्टूबर में अमेरिका के अलास्का में हुआ था। इस बार के अभ्यास का उद्देश्य भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच समझ, सहयोग और अंतर-संचालन को बढ़ाना है। भारत ने इससे पहले 2014, 2016 और 2018 में भी उत्तराखंड में सालाना अभ्यास की मेजबानी की है। लेकिन उन सभी अभ्यासों को तलहटी में आयोजित किया गया था, जो सीमा से 300 किमी से अधिक दूर था।
अमेरिकी सेना पेसिफिक के मेजर जोनाथन लुईस ने आगे कहा कि, ज्यादा ऊंचाई और सीमा क्षेत्र से निकटता के संयोजन से पता चलता है कि अमेरिका और भारत अच्छी तरह आगे बढ़ रहे हैं। वहीं, इस साल भारत की यात्रा के दौरान US सेना के पैसिफिक कमांडिंग जनरल चार्ल्स फ्लिन ने विवादित सीमा के पास चीन के सैन्य जमावड़े को खतरनाक बताया था। उधर अमेरिकी रक्षा विभार के प्रवक्ता भी कह चे है कि, भारत के साथ संबंध एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए हमारे साझा दृष्टिकोण के सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक था।
बता दें कि, चीन को काबू में करना बेहद ही जरूरी है। क्योंकि, चीन इन दिनों कई देशों की जमीनों पर कब्जा कर रहा है साथ ही छोटे देशों को कर्ज देकर अपनी जाल में फंसा रहा है और इससे उनकी अर्थव्यवस्था को गिराकर वाहां के बंदरगाह और एयरपोर्टों पर अपना कब्जा जमा रहा है। श्रीलंका में जो हुआ वो चीन की देन है। अब बांग्लादेश में भी भारी आर्थिक तबाही देखने को मिल रही है। पाकिस्तान जल्द श्रीलंका बनने वाला है और इन देशों ने चीन से ही कर्ज लिया है। ऐसे में चीन को काबू में करने के लिए अमेरिका को भारत की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ेगी। क्योंकि, भारत चीन के साथ लंबी सीमा साझा करता है।