भारत के लगभग सभी पड़ोसी देश चीन की कर्ज जाल में फंस चुके हैं। श्रीलंका में आर्थिक तबाही मची हुई है। यहां कि अर्थव्यवस्था बूरी तरह गिर गई है और लोग सड़कों पर हैं। खाने की चीजों से लेकर हर चीजों की कमी है। यही हाल अब पाकिस्तान में होता दिख रहा है। इधर कुछ दिनों से बांग्लादेश भी चीन के चक्कर में आर्थिक मंदी की ओर बढ़ रहा है। बांग्लादेश में धीरे-धीरे महंगाई आसमान छूती नजर आ रही है। हाल ही में यहां पर पहली बार पेट्रोल-डीजल के दामों में 50 फीसदी से भी ज्यादा की वृद्धि की गई है। ऐसे में बांग्लादेश के वित्त मंत्री ने चीन को ऐसी लताड़ लगाई है कि वो समझ नहीं पा रहा है कि उसे क्या करना चाहिए। चीन पूरी तरह बैचने हो उठा है कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
BRI प्रोजेक्ट बना एशियाई देशों के जी का जंजाल
दरअसल, चीन ने जब बेल्ट एंड रोड परियोजना (BRI) का शुभारंभ किया था तभी विशेषज्ञों ने चेतावनी दे दी थी कि ये आने वाले दिनों में छोटे देशों के जी का जंजाल बनेगा। उस दौरान चीन ने कहा था कि, वो छोटे देशों को कर्ज देकर वहां पर तेजी से विकास करेगा और उनकी अर्थव्यवस्था को ऊपर पहुंचाएगा। लेकिन, चीन ने इस परियोजना को लॉन्च ही इस लिए किया था कि वो छोटे देशों को अपनी कर्ज जाल में फंसा ले और उनके बंदरगाहों और एयरपोर्टों पर कब्जा कर ले। श्रीलंका में हुआ भी यही वहां की अर्थव्यवस्था गिरते ही चीन ने वहां के हंबनटोटा बंदरगाह पर कब्जा कर लिया। अब बांग्लादेश में आती आर्थिक तबाही के बीच वहां के वित्त मंत्री मुस्तफा कमाल ने BRI को लेकर जो चेतावनी दी थी चीन अब उसका बचाव करता नजर आ रहा है।
बांग्लादेश ने कहा BRI को स्वीकर करने से पहले दो बार सोचना होगा
चीन ने कहा है कि, BRI परियोजना से ठोस फायदे हुए हैं ( हां जरूर हुए हैं लेकिन सिर्फ चीन को)। चीन ने दावा किया है कि BRI के तहत दिए जाने वाले लोन पश्चिमी देशों की ओर से बांटे जाने वाले कर्ज की तुलना में सस्ती दरों पर दिए गए हैं। (जरूर, लेकिन वो किसी देश को बर्बाद नहीं करते)। बांग्लादेश में आर्थिक उठापठक के बीच वित्त मंत्री मुस्तका कमाल ने विकासशील देशों को चेतावनी देते हुए कहा था कि, दुनिया में जो हालात चल रहे हैं, उसको देखकर लगता है कि हर कोई BRI को स्वीकर करने से पहले दो बार सोचेगा।
BRI के चलते बढ़ी महंगाई और विकास दर धीमी हो गई
अपने एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि, दुनियाभर में बीआरआई के चलते महंगाई बढ़ रही है और विकास दर धीमी हो गई है। इससे कर्ज लेने वाले देश उभरते हुए बाजारों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। उन्होंने कहा कि, चीन को अपने लोन की समीक्षा को सख्ती से करना चाहिए। कर्ज देने के खराब फैसले की वजह से कई देशों को कर्ज संकट से गुजरना पड़ रहा है। उनका ये इशारा श्रीलंका की ओर था जहां चीन ने कर्ज देकर पूरी तरह से बर्बाद कर दिया। यहां तरक्की तो दूर अब श्रीलंका को वापस अपने पहले वाले हालात तक में लौटने के लिए कई वर्ष लग जाएगा। ऐसे में चीन के चलते उसकी तरक्की खाक में मिल चुकी है। चीन को कहते हुए शर्म आना चाहिए कि BRI लोगों के हित के लिए है। चीन का कोई भी प्रोजेक्ट हित नहीं बल्कि लोगों बर्बादी के लिए है।
आर्थिक भूचाल लाने वाला सिर्फ चीन है
कमाल ने आगे कहा कि, श्रीलंका को लेकर हर कोई चीन पर आरोप लगा रहा है लेकिन चीन इससे असहमत नहीं हो सकता है। यह उनकी जिम्मेदारी है। चीन परियोजनाओं को समर्थन देने का फैसला करते समय सख्त नहीं है। उसे किसी को कर्ज देने से पहले एक व्यापक अध्ययन करने जरूरत है। उन्होंने कहा कि, श्रीलंका के बाद…हम यह महसूस करते हैं कि चीनी प्राधिकरण इस खास पहलू पर ध्यान नहीं दे रहे हैं जो बहुत बहुत जरूरी है।
चीन से कर्ज लेने वाले सारे देश IMF से मांग रहे मदद
बदा दें कि, चीन से कर्ज लेने वाले देश अब IMF से कर्ज की गुहार लगा रहे हैं। पाकिस्तान में चीन जमकर कई सारी परियोजनाओं पर काम कर रहा है लेकिन, फिर भी मुल्क कंगाली की राह पर है। पाकिस्तान भी IMF के आगे हाथ फैलए हुए हैं। श्रीलंका भी गुहार लगा रहा है और अब बांग्लादेश भी इसमें शामिल हो गया है। महंगाई इस वक्त कई कारणों के चलते आसमान छू रही है, इसमें सबसे बड़ा कारण रूस और यूक्रेन युद्ध है। जिसके चलते एशियाई देशों को पैसे की सख्त जरूरत है। उनका विदेश मुद्रा भंडार कम हो रहा है। बांग्लादेश पर भी चीन का 4 अरब डॉलर का लोन है जो उसके कुल कर्ज का 6 प्रतिशत है। बांग्लादेश भी चीन के BRI प्रोजेक्ट का हिस्सा है। बांग्लादेश अब 4 अरब डॉलर का अतिरिक्त कर्ज चाहता है।