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PM Modi ने देश को याद दिलाए 5 संकल्प, बोले- विकसित भारत के ये हैं मंत्र- अपनी विरासत पर गर्व होना जरूरी

21 नेताओं को पीछे छोड़ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Modi) टॉप पर है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के ऐतिहासिक मौके पर लाल किले से कहा कि, आजादी के इतने दशकों बाद पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है। विश्व, भारत की ओर गर्व और अपेक्षा से देख रहा है। समस्याओं का समाधान दुनिया, भारत की धरती पर खोजने लगी है। विश्व का ये बदलाव, विश्व की सोच में ये परिवर्तन 75 साल की हमारी यात्रा का परिणाम है। इस मौके पर उन्होंने देश को 5 प्रण दिलाए। उन्होंने कहा कि, अगले 25 सालों में जब देश अपनी आजादी के 100 साल पूरे करेगा, तब तक हमें इन संकल्पों को पूरा करना है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि, मुझे लगता है कि आने वाले 25 सालों के लिए हमें अपने संकल्पों को 5 आधारों पर केंद्रित करना होगा। हमें उन पंच प्रण को लेकर 2047 में जब आजादी के 100 साल होंगे तो आजादी के दीवानों के सपनों को पूरा करना होगा।

पांच संकल्प

पहला संकल्प- विकसित भारत

दूसरा संकल्प- किसी भी कोने में गुलामी का अंश न रह जाए।

तीसरा संकल्प- अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए।

चौथा संकल्प- किसी भी कोने में गुलामी का अंश न रह जाए।

पांचवा संकल्प- नागरिकों का कर्तव्य।

पीएम मोदी ने कहा कि, पहला संकल्प होगा, विकसित भारत का। दूसरा यह कि किसी भी कोने में गुलामी का अंश न रह जाए। अब हमें शत-प्रतिशत उन गुलामी के विचारों से पार पाना है, जिसने हमें जकड़कर रखा है। हमें गुलामी की छोटी से छोटी चीज भी नजर आती है तो हमें उससे मुक्ति पानी ही होगी। उन्होंने कहा कि कब तक दुनिया हमें सर्टिफिकेट देती रहेगी। क्या हम अपने मानक नहीं बनाएंगे। हमें किसी भी हालत में औरों के जैसा दिखने की कोशिश करने की जरूरत नहीं है। हम जैसे भी हैं, वैसे ही सामर्थ्य के साथ खड़े होंगे। यह हमारी मिजाज है।

अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए

इसके बाद उन्होंने कहा कि, तीसरी प्रण शक्ति यह है कि हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए। यही विरासत है, जिसने कभी भारत को स्वर्णिम काल दिया था। यही विरासत है, जो काल बाह्य छोड़ती रही है और नूतन को स्वीकारती रही है। पीएम मोदी ने कहा कि हमारी विरासत में ही पर्यावरण जैसी जटिल समस्या का समाधान रहा है। हमारी संस्कृति वह है, जो जीव में शिव देखती है और कंकर में शंकर देखती है। हमारी यह परंपरा ही बताती है कि कैसे पर्यावरण के साथ रहा जा सकता है।

इसके आगे चौथे प्रण के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि, चौथा प्रण यह है कि देश में एकता रहे और एकजुटता रहे। देश के 130 करोड़ देशवासियों में एकता रहे। यह हमारा चौथा प्रण है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमें हर किसी का सम्मान करना होगा। श्रम को अच्छे नजरिए से देखना होगा और श्रमिकों का सम्मान करना होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि, पांचवा प्रण है नागरिकों का कर्तव्य। इससे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी बाहर नहीं हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह देश तभी आगे बढ़ सकता है, जब हम अपने कर्तव्यों का पालन करें। यदि सरकार का कर्तव्य है कि वह हर समय बिजली की सप्लाई दे तो यह नागरिक का कर्तव्य है कि वह कम से कम यूनिट खर्च करे। यदि सरकार सिंचाई के लिए पानी दे तो नागरिक का कर्तव्य है कि वह पानी की ज्यादा से ज्यादा बचत करे।